मुंबई: ईंधन की कीमतें आसमान छू रही हैं, जिससें आम भारतीय नागरिक परेशान है। कच्चे तेल के आयात को कम करने के लिए भारत सरकार ने 2025 तक पेट्रोल के साथ 20% इथेनॉल मिश्रण का लक्ष्य रखा है। केंद्र सरकार के इस लक्ष्य को हासिल करने के लिए चीनी उद्योग और स्टैंडअलोन डिस्टिलरीज अपने इथेनॉल उत्पादन क्षमता का विस्तार करने का मार्ग तलाश रही हैं। डिस्टिलरी और अल्कोहल उद्योग से जुडी कंपनियों ने इथेनॉल उत्पादन बढ़ाने के लिए अब कमर कस ली है, और सर्वोत्तम इथेनॉल उत्पादन के लिए नई तकनीकों की खोज कर रही हैं। जब भी इथेनॉल उत्पादन की बात आती है, तो हमारे सामने सबसे पहला नाम आता है रिग्रीन एक्सेल ईपीसी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड का। आधुनिक इथेनॉल प्लांट स्थापित करने में ‘रिग्रीन एक्सेल ईपीसी इंडिया प्राइवेट लिमिटेड’ ने ट्रेंड सेट किया है।
रिग्रीन एक्सेल को डिस्टिलरी, बायो फ्यूल, जीरो एफ्लुएंट डिस्चार्ज सिस्टम और रिन्यूएबल एनर्जी के क्षेत्र में “कॉन्सेप्ट टू कमीशनिंग कंपनी” के रूप में जाना जाता है। यह कंपनी पूरे भारत के साथ दुनिया भर में आधुनिक इथेनॉल प्लांट स्थापित करने में एक प्रमुख प्लेयर के तौर पर जानी जाती है। कंपनी के पास पुणे और कोल्हापुर (महाराष्ट्र) और कानपुर और गाजियाबाद (उत्तर प्रदेश) में राज्य औद्योगिक पार्कों में पूर्ण विनिर्माण सुविधाएं हैं।
‘चीनीमंडी न्यूज’ के साथ बातचीत में, रिग्रीन एक्सेल के प्रबंध निदेशक संजय देसाई ने अपने विचार साझा किये। उन्होंने बताया कि, कैसे उनकी रिग्रीन एक्सेल कंपनी इथेनॉल सम्मिश्रण कार्यक्रम में चीनी उद्योग के साथ समान योगदानकर्ता के रूप में सबसे आगे है। उन्होंने बताया की, केंद्र सरकार के इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि के लक्ष्य के साथ साथ, हमारे प्रयास नई प्रौद्योगिकियों और मौजूदा प्रौद्योगिकियों में सुधार की ओर जारी रहे हैं। जिससें इथेनॉल उत्पादन के बेहतर प्रदर्शन से चीनी मिलर्स और स्टैंड-अलोन डिस्टिलरी को लाभान्वित करेंगे। साथ ही मिलों को चीनी के ढेर और वित्तीय बकाया के बोझ से दूर सुनहरे स्थायी हरित भविष्य की ओर ले जायेंगे। उन्होंने दावा किया की, ईबीपी कार्यक्रम एक अच्छी पहल है, जो आने वाले वर्षों में मिलर्स को अच्छा रिटर्न दिलाएगा।
रिग्रीन एक्सेल की आजतक की अचीवमेंट के बारे में देसाई ने कहा की, कंपनी ने आधुनिक तकनीक के इस्तेमाल से कई रिकॉर्ड स्थापित किए हैं, जिसमें…
i) सी शीरा, बी शीरा और केन जूस, अनाज, बाजरा और कच्ची चीनी के लिए जीरो लिक्विड सिस्टम के लिए “ई-मैक्स”, “ई-मैक्स2” और “ई-मैक्स” फ्लेक्सी तकनीक का सफल विकास किया गया है।
ii) आधुनिक 63 इथेनॉल / डिस्टिलरी इकाइयों का सफल कार्यान्वयन पांच वर्षों में अखिल भारतीय आधार पर प्रत्येक संयंत्र दक्षता, भाप और पानी के उपयोग और जेडएलडी के मामले में प्रदर्शन बेंचमार्क को पार करता है। ई-मैक्स डिस्टिलरी संयंत्रों के परिणामस्वरूप ईएनए हुआ, जो सभी घरेलू और अंतर्राष्ट्रीय बॉटलर्स / ब्लेंडर्स द्वारा मोलासेस और अनाज दोनों के लिए स्वीकार किया जाता है।
iii) “ई-मैक्स” संयंत्र उच्च दक्षता वाले हैं, कम ऊर्जा और पानी के पदचिह्न, उच्च ग्रेड ईएनए स्पिरिट / इथेनॉल के साथ उच्च समग्र उपलब्धता और कम से कम श्रमिकों के स्वचालन किये जा सकते है।
iv) सीडीबीएल, चंडीगढ़ में 275 केएलपीडी अनाज डिस्टिलरी के संचालन में सबसे बड़ा संयंत्र और डीएससीएल शुगर्स लिमिटेड, उत्तर प्रदेश में 275 केएलपीडी शीरा डिस्टिलरी का निर्माण केवल 100% ‘मेक इन इंडिया’ दृष्टिकोण के साथ किया गया है।
देसाई ने आगे कहा की, हाल ही में उगार शुगर वर्क्स (कर्नाटक) द्वारा 500 केएलपीडी क्षमता के गन्ना का उपयोग करने वाले एशिया के सबसे बड़े नए इथेनॉल प्लांट और गुलशन पॉलीओल्स लिमिटेड (मध्य प्रदेश) द्वारा 450 केएलपीडी क्षमता के अनाज का उपयोग करके इथेनॉल प्लांट स्थापित किये है। हमने हाल के महीनों में अनाज, गन्ने का रस और शीरे का उपयोग करते हुए बारह से अधिक नई इथेनॉल परियोजनाओं पर काम किया है, जिनमें अक्टूबर 2021 तक उत्पादन शुरू हो जाएगा।
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