पुणे : महाराष्ट्र में त्रस्त सहकारी चीनी मिलों के लिए राज्य सरकार राहत के कदम उठा रही है। मिलों को सरकारी गारंटी देने के लिए उनकी दलीलों पर विचार करने के लिए प्रस्ताव देने को कहा है, ताकि वे आगामी सत्र के लिए पूंजी जुटाने में सक्षम हों। राज्य की 102 सहकारी मिलों में से 58 ने अपने नेगेटिव नेट डिस्पोसेबल रिसोर्स (NDR) के कारण पूंजी जुटाने में समस्याओं का सामना कर रही है। पिछले कई सालों से चीनी मिलें कमजोर चीनी बिक्री और अन्य कारणों से आर्थिक समस्या से जूझ रहे है।
मीडिया रिपोर्ट के मुताबिक, चीनी आयुक्त सौरभ राव ने पुष्टि की कि, चीनी मिलों को अपने प्रस्ताव के साथ-साथ वित्तीय विवरण भी प्रस्तुत करने के लिए कहा गया है। चीनी आयुक्त की अध्यक्षता वाली एक तकनीकी समिति प्रस्तावों की जांच करेगी और उन्हें संबंधित अधिकारियों को भेज देगी। उपमुख्यमंत्री और वित्त मंत्री अजीत पवार की अध्यक्षता में एक कैबिनेट उप समिति प्रस्तावों पर गौर करेगी और फिर बैंक गारंटी देने का आह्वान करेगी।
पिछले कुछ वर्षों में, चीनी मिलों के वित्तीय स्वास्थ्य पर सूखे और चीनी बिक्री के गिरावट ने बुरा असर डाला है, जो अब बैंकों से नई पूंजी जुटाने की स्थिति में नहीं हैं। कोरोना वायरस महामारी से समस्या और भी बदतर हो गई, क्योंकि मिलें अपना चीनी स्टॉक बेचने में नाकाम रहीं। महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज़ फेडरेशन ने बार-बार राज्य सरकार से ऐसी मिलों के लिए गारंटी देने के लिए कहा है, ताकि वे बैंकों के साथ नए वित्त जुटाने में सक्षम हों।
यह न्यूज़ सुनने के लिए प्ले बटन को दबाये.