नई दिल्ली, 4 अप्रैल: राष्ट्रव्यापी लॉकडाउन के दौरान देश के किसानों को किसी तरह की समस्या न हो इसके लिए केन्द्र सरकार ने कई तरह के नीतिगत फैसले लेकर किसानों को राहत देने का काम किया है। किसानों को कृषि उत्पादों के विपणन के साथ जहां नेशनल ई मार्केट नियमों में बदलाव कर और सहुलियतें दी है वहीं रबी फसल की कटाई के साथ आगामी फसलों की बुआई के लिए किसानोपयोगी प्रावधान भी किए है। इन सभी सहिलियतों के बीच जो बात सबसे महत्वपूर्ण है वो है सरकार द्वारा फसल बीमा योजना को सरल बनाना। इस सहुलियत से तक़रीबन हर किसान को फायदा होगा। गन्ना किसानों के लिए इसका विशेष महत्व है। इन दिनों गन्ना किसानों के खेतों में फसल कटाई का अन्तिम चरण चल रहा है। गन्ना पैराई अपने अन्तिम दौर पर है। लेकिन इस साल गन्ना बुआई सत्र में बारिश की अनिश्चितता के कारण गन्ने की फसल की देरी से बुआई हुई। फिर बीते दिनों आयी बेमौसमी बारिश और औलों के कारण कियानों की गन्ना और अन्य फसलों को नुकसान हुआ। किसान इन सभी समस्याओं से उबरा ही नहीं था कि अब लॉकडाउन हो गया। इसके कारण चीनी मिलों तक गन्ना समय पर न पहुंचने के चलते कई मिलों में न तो अपेक्षित गन्ना पैराई हुई और न ही लक्ष्य आधारित चीनी का उत्पादन हुआ। ऐसी आर्थिक स्थित में किसानों को कई चीनी मिलों ने बकाया भुगतान चुकाने में विफल रहे।
आर्थिक तंगी से जूझ रहे किसानों के लिए प्रधानमंत्री फसल बीमा योजना एक सहारा बनकर उबरी है। लेकिन योजना की तकनीकी पेचीदगियाँ किसानों को अपनी फसल का नुकसान होने पर भी मुआवजा नहीं दिला पा रही थी। अब जब सरकार ने लॉकडाउन के दौरान किसानों की इस इस समस्या को समझा है और किसानों की फसलों के नुकसान का जल्द आंकलन करने के लिए बीमा कम्पनियों को पास जारी किए है इससे जिन गन्ना किसानों की गन्ना और अन्य फसलों को नुकसान हुआ है उसका उन्हे जल्द मुआवज़ा मिल जाएगा और उन्हें आर्थिक मदद भी होगी।
सरकार द्वारा फसल बीमा कम्पनियों को बेमौसमी बारिश, औलावृष्टि और फसल कटाई के बाद के नुकसान का आंकलन करने के मसले पर बात करते हुए कृषि मंत्रालय भारत सरकार के कृषि आयुक्त डॉ एसके मल्होत्रा ने कहा कि सरकार का मकसद देश के किसानों को केन्द्र प्रेरित योजनाओं का अधिकाधिक फायदा दिलाना है। अब जब किसान भाई मुसिबत में है तो ये सरकार का दायित्व है कि उन्हे जो सरकार ने सुविधाएँ दी है उनका वो फायदा लें। जब उनसे पूछा गया कि गन्ना किसानों को इस सहूलियत से कितना फ़ायदा होगा तो उनका कहना था कि देश की तो छोड़ो आप एनसीआर के समीप के जिलों के जिलों को ही लेलें। मेरठ, बागपत, बुलन्दशहर और मुज्जफरनगर नगर जैसे जिले गन्ना उत्पादक जिले है। इन ज़िलों में बीते दिनों बेमौसमी बारिश और औलावृष्टि से गन्ने की फसल के अलावा गेहूं, जो, और चना जैसी अन्य फसलों को काफी नुक़सान हुआ था। बाद में लॉकडाउन के कारण गन्ने की फसल खेत में ही खड़ी रह गयी और कई किसानों के गन्ने से लदे ट्रेक्टर चीनी मिलों तक पैराई के लिए भी नहीं पहुँच पाये। अब सरकार ने बीमा कम्पनियों को निर्देश दिया है तो जाहिर सी बात है उन सभी किसानों को अपने फसल के खेत में खराब होने और कटाई के उपरान्त हुए फसल के नुकसान का मुआवजा मिलेगा।
मल्होत्रा ने कहा कि आपके लिए ये छोटी बात हो सकती है लेकिन जिन गन्ना किसानों की फसल खराब हुई है, उनके लिए ये मदद सरकार की तरफ से एक बडा वित्तीय सहारा बनेगी। मल्होत्रा ने कहा कि केन्द्रीय कृषि मंत्री ने सभी बीमा कम्पनियों के साथ विडियो कॉन्फ़्रेंसिंग के जरिए बात की है और जल्द से जल्द उन्हे क्षेत्र आधारित सर्वे करने के लिए निर्देशित किया है। साथ ही कृषि मंत्री ने बीमा दावों के नियमों को सरल बनाने के लिए राज्यों को पत्र भी लिखा है।
फसल बीमा के दावों के त्वरित निपटान से गन्ना किसानों को होने वाले फायदों पर जब भारतीय किसान संघ के राष्ट्रीय महासचिव बद्रीनारायण से बात की गई तो उनका कहना था कि सरकार ने किसानों के हित में अच्छा निर्णय लिया है लेकिन इसका किसानों को फायदा तब ही होगा जब एक समय अवधि के बीच जल्द से जल्द इस बीमा निपटान प्रक्रिया को पूर्ण कर लिया जाए। ब्रदीनारायण ने कहा कि अब खरीफ फसल की बुआई के लिए किसानों को पैसा चाहिए इसलिए बीमा कम्पनियां जल्द बीमा केसों का सर्वे करके दावों का निपटान करवा देती है तो किसानों को इसका फायदा मिल पायेगा नहीं तो फिर वही स्थिति रहेगी।
ग़ौरतलब है कि सरकार ने 2019 -20 के बीमा दावों के भुगतान के लिए स्मार्ट सैम्पलिंग जैसी तकनीक का उपयोग करने के लिए बीमा कम्पनियों को शासनादेश दे रखा है।
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