गन्ने का अतिरिक्त उत्पादन और चिनीके गिरते दाम से परेशान और बेहाल चिनी मिलोको राहत पहुचाते हुवे, गत सप्ताहमें चिनी मिलोके लिए केंद्र सरकारने ८५०० करोड़ रुपयों का पॅकेज घोषित किया| इससे चिनी उद्योग को राहत मिली और चिनी के दाम में प्रति क्विंटल रु. ३०० से ४०० तक का इजाफा होने से उपभोगता के लिये चिनी का मीठास कम हो रहा है|
घरेलु और आंतरराष्ट्रीय बाजार में चिनीकि किमते निचले स्तरपर होनेसे घरेलु चिनी उद्योग पर संकट के बादल मंडरा रहे थे| इस बात का खयाल रखते हुवे केंद्र सरकारने घरेलु चिनी उद्योग के लिये राहत का पॅकेज घोषित किया| गन्ना किसनो को फआरपी अदा करने में असमर्थ होनेपर भी चिनी मिलोंमें हो रही जानलेवा स्पर्धा के कारण गन्ने का क्रशिंग कर किसनो को फआरपी अदा करने तक चिनी मिलों कि सांसे फूल गई| चिनी कि किमते निचले स्तर पर होनेसे चिनी बिकवालीसे उत्पादन लागत भी मिलाना मुश्किल हो गया था| इस परिपेक्ष में चिनी मिलो के संघटनोंने केंद्र सरकारसे मदत कि गुहार लगाकर, सरकार का पीछा करती रही| इस बात को गंभीरता से लेते हुवे केंद्र सरकारने रु.८५०० करोड़ का पॅकेज घोषित किया| इस फेसलेसे चिनी मिलो के साथ सामान्य उपभोक्ता भी ख़ुशी मनाने लगा था| लेकिन वास्तव में चिनी के दाममें लगातार बढ़ोतरी होरही है| इससे सामान्य उपभोक्ताका के बजेट में हलचल मचगई है| रु. २९०० प्रति क्विंटल उपलब्ध चिनी आज रु.३४०० प्रति क्विंटल तक पहुँच गई है| इससे सामान्य उपभोक्ता केलिए चिनीकी मिठास कम हो गयी है|