नई दिल्ली: केंद्रीय सड़क परिवहन मंत्री नितिन गडकरी ने सोमवार को कहा कि केंद्र एथेनॉल उत्पादन के लिए जमीन का उपयोग करके बंद पड़ी चीनी मिलों को पुनर्जीवित करने के लिए एक नई नीति बनाने की योजना बना रहा है।
गडकरी ने कहा की,”बहुत सारी चीनी मिलें बंद हो गई हैं … मैं एक नीति बनाने जा रहा हूं। इन चीनी मिलों की हालत ऐसी है कि उन्हें वित्त नहीं मिल रहा है। बंद चीनी मिलों में कुछ 5-6 एकड़ भूमि का उपयोग एथेनॉल बनाने के लिए किया जा सकता है”।
मंत्री ने कहा कि चीनी मिल की भूमि का उपयोग चीनी, गन्ने के रस, और गुड़ से एथेनॉल उत्पादन के लिए किया जा सकता है और जल्द ही नीति तैयार की जाएगी।
उन्होंने कहा कि एथेनॉल अर्थव्यवस्था में लगभग 25,000 करोड़ रुपये से 1 लाख करोड़ रुपये तक पहुंचने की क्षमता है और यह वार्षिक 7 लाख करोड़ रुपये के कच्चे तेल के आयात को कम कर सकता है।
उन्होंने कहा कि चीनी के माध्यम से एथेनॉल का उत्पादन उत्तर प्रदेश, कर्नाटक और महाराष्ट्र सहित गन्ना उत्पादक राज्यों की अर्थव्यवस्था को बढ़ावा दे सकता है।
हालही में केंद्र सरकार ने बी- हैवी मोलासेस वाले एथेनॉल की कीमतें 52.43 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 54.27 रुपये प्रति लीटर कर दी हैं और वही दूसरी ओर सी-हैवी मोलासेस वाले एथेनॉल की कीमत 43.46 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 43.75 रुपये लीटर कर दी हैं। गन्ने के रस, चीनी, चीनी सीरप से सीधे बनने वाले एथेनॉल का भाव 59.48 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है।
कच्चे तेल के आयात पर निर्भरता कम करने के लिए केंद्र सरकार ने एथेनॉल की कीमतों में बढ़ोतरी की है। एथेनॉल की दाम में वृद्धि से चीनी मिलों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। एथेनॉल उत्पादन से चीनी अधिशेष को कम करने में भी मदद मिलेगी। केंद्र सरकार का 2030 तक पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रित करने का लक्ष्य है। विशेषज्ञों का मानना है कि एथेनॉल का उत्पादन चीनी मिलों को वित्तीय स्थिति में सुधार करने और गन्ना बकाया को दूर करने में मदद करेगा
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