दालों की बढ़ती कीमतों ने हाल ही में आम आदमी की परेशानी को बढ़ा दिया है, तोह वहीँ अब चावल के दामों में भी वृद्धि देखि जा रही है। वर्तमान में चावल की औसत कीमतें प्रति किलो 40 रुपए के पार चल रही हैं, जो पिछले साल की तुलना से लगभग 8% अधिक है। चावल व्यापारियों का कहना है कि, अगर मानसून अस्तव्यस्त रहता है,तो बुवाई में कमी होती है और लॉनिना फेनोमेनन का असर दिखता है, जिसके कारण चावल के थोक और खुदरा दामों में और भी वृद्धि हो सकती है।
सरकारी गोदामों में वर्तमान में लगभग 80mt चावल उपलब्ध हैं। यह वाणिज्यिक मांग को पूरा करने के लिए पर्याप्त माना जा सकता है। हालांकि, अगर त्योहारी सीजन में मांग बढ़ती है और उत्पादन में कमी आती है, तो यह न केवल आम आदमी की बल्कि सरकार की भी मुश्किलें बढ़ा सकती है। इसके अलावा, जो चावल उत्पादित होगा, उसकी आपूर्ति केवल देश भर में ही की जनि चाहिए । यदि निर्यात विदेशों में किया जाता है, तो इसका घरेलू आपूर्ति पर प्रभाव देख जा सकता है।
सितंबर 2022 में चावल की टूकड़ी निर्यात पर रोक लगाई गई है और कई अन्य ग्रेड के चावलों के निर्यात पर 20% शुल्क लगाया गया है। यह दोनों अभी भी प्रभावी हैं। हालांकि, 20% निर्यात शुल्क के बावजूद चावल का निर्यात अभी तक धीमा है और इसलिए इस शुल्क को कम करने या समाप्त करने की कोई संभावना नहीं है।