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नई दिल्ली : चीनी मंडी
देश का चीनी उद्योग अभूतपूर्व संकट में फसां हुआ है, सरकार हर मुमकिन कोशिशों के बावजूद मिलों की माली हालत में कोई सुधार होते नही दिख रहा है।चीनी मिलों पर गन्ना किसानों का बकाया लगातार बढ़ता ही जा रहा है।चीनी मिलें इसके पीछे चीनी की कम कीमत को जिम्मेदार मान रही हैं।मिलों का कहना है कि, चीनी की कम कीमत के कारण उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है, जिसके चलते वे किसानों को उनका भुगतान नहीं कर पा रही हैं।31 जनवरी, 2019 तक गन्ने की कीमतों का बकाया करीब 20,000 करोड़ रुपये हुआ है।
इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (इस्मा) ने कहा कि, 31 जनवरी, 2019 तक गन्ने की कीमतों का बकाया करीब 20,000 करोड़ रुपये हो गया है।’इस्मा’ ने कहा कि शुरू चीनी वर्ष 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) में आगे तीन महीने की पेराई की रफ्तार पर विचार करें तो बकाया रकम में और वृद्धि हो सकती है, क्योंकि मौजूदा चीनी का ‘एक्स-मिल’ कीमत 29-30 रुपये प्रति किलोग्राम के करीब रहने पर मिलर किसानों को समय पर बकाये का भुगतान करने में असमर्थ होंगे।
‘इस्मा’ द्वारा न्यूनतम बिक्री कीमत में इजाफा करने की मांग…
‘इस्मा’ ने कहा कि, डर इस बात की है कि अप्रैल 2019 के आखिर में फिर स्थिति (बकाया रकम का स्तर) काफी तकलीफदेह बन सकती है।’इस्मा’ के अनुसार, देशभर में चीनी का ‘एक्स मिल’ कीमत (जिस दर पर चीनी मिलें डीलर को चीनी बेचती हैं.) 29-30 रुपये प्रति किलोग्राम है, जोकि चीनी की उत्पादन लागत से करीब पांच-छह रुपये प्रति किलोग्राम कम है।जिससे मिलों को घाटा उठाना पड़ रहा है। निजी मिलों के शीर्ष उद्योग संगठन ने सरकार से चीनी का एक्स मिल रेट बढ़ाकर 35-36 रुपये प्रति किलोग्राम करने की मांग की है। चालू गन्ना पेराई सत्र 2018-19 (अक्टूबर-सितंबर) के शुरुआती चार महीनों में चीनी का उत्पादन 185.19 लाख टन हो चुका है, जोकि पिछले साल की समान अवधि के उत्पादन आंकड़े 171.23 लाख टन से 13.96 लाख टन यानी 7.5 फीसदी अधिक है।
दिसंबर 2108 तक 185.19 लाख टन चीनी का उत्पादन…
‘इस्मा’ द्वारा सोमवार को जारी उत्पादन के आंकड़ों के अनुसार, 31 दिसंबर तक देशभर में चालू 514 मिलों में चीनी का कुल उत्पादन 185.19 लाख टन हुआ है।जबकि पिछले साल सीजन के शुरुआती चार महीनों में 504 चीनी मिलों में कुल उत्पादन 171.23 लाख टन हुआ था। इस साल अबतक चीनी का सबसे ज्यादा उत्पादन महाराष्ट्र में 70.70 लाख टन हो चुका है, जबकि पिछले साल 31 जनवरी तक राज्य में 63.08 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इसके बाद उत्तर प्रदेश में 31 जनवरी, 2019 तक चालू 117 मिलों में चीनी का उत्पादन 53.36 लाख टन हुआ है, जबकि पिछले साल इस अवधि में 119 मिलों में 53.98 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था।
चीनी उत्पादन में कर्नाटक तीसरे और तमिलनाडु चौथे स्थान पर…
देश के तीसरे सबसे बड़े चीनी उत्पादक प्रदेश कर्नाटक में 31 जनवरी तक चालू 65 मिलों में चीनी का उत्पादन 33.04 लाख टन हुआ, जबकि पिछले साल इस अवधि तक चालू 58 मिलों में 26.78 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ था। तमिलनाडु में पिछले साल के 2.12 लाख टन के मुकाबले इस साल 3.10 लाख टन चीनी का उत्पादन हो चुका है। गुजरात में चालू सीजन के शुरुआती चार महीनों में 6.50 लाख टन चीन का उत्पादन हुआ है, जबकि पिछले साल 6.07 लाख टन हुआ था। चालू सत्र में 31 जनवरी तक चीनी का उत्पादन आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में 3.70 लाख टन, बिहार में 4.08 लाख टन, उत्तराखंड में 1.75 लाख टन, पंजाब में 2.90 लाख टन, हरियाणा में 2.90 लाख टन और मध्यप्रदेश में 2.60 लाख टन हुआ है। ‘इस्मा’ का अनुमान है कि इस साल चीनी का उत्पादन 307 लाख टन हो सकता है, जोकि पिछले साल के उत्पादन अनुमान 325 लाख टन से करीब 6-7 फीसदी कम है.
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