मुंबई: कोरोना वायरस महामारी के बीच बढती मांग को देखकर उत्तर प्रदेश की तरह महाराष्ट्र में भी चीनी मिलर्स ने सैनिटाइजर का काफी बड़ी मात्रा में निर्माण किया और स्थानीय बाजारों में बेचा। अब बाजार में प्रतिस्पर्धा बढने से मिलों को सैनिटाइजर बेचने में परेशानी हो रही है। आपूर्ति को बढ़ावा देने और जमाखोरी रोकने के लिए, केंद्र सरकार ने 30 जून, 2020 तक आवश्यक वस्तुओं में फेस मास्क और हैंड सैनिटाइजर को शामिल किया था।
कुछ मिलरों ने कहा की, वे सैनिटाइजर मार्केटिंग में सही पकड़ नहीं रख पाए हैं और मुख्य रूप से इसी वजह से मांग बढ़ने पर भी मिलें अपना सैनिटाइजर नही बेच पा रही है, जिससे अब उनके सामने सैनिटाइजर स्टॉक की नई समस्या निर्माण हुई हैं। ऐसे हालात में चीनी मिलों को नुकसान उठाना पड़ सकता है। चीनी मिलें अब और परेशान दिख रहे है क्यूंकि हैंड सैनिटाइजर को अब आवश्यक वस्तु अधिनियम, 1955 के दायरे से बाहर कर दिया गया है।
चीनीमंडी न्यूज़ के साथ बातचीत में, महाराष्ट्र चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने सैनिटाइजर के लंबित स्टॉक का सामना कर रहे मिलरों के स्थिति बारे में अपने विचार व्यक्त किए। उन्होंने कहा की, कोरोनो वायरस महामारी के बाद बाजार ने हैंड सैनिटाइजर की भारी मांग देखी है। महाराष्ट्र में कोरोना वायरस के मामले सबसे अधिक है और ग्रामीण क्षेत्रों में सैनिटाइजर की मांग अभी भी बरकरार है। चीनी मिलें अपना सैनिटाइजर उत्पादन बेचने के लिए संभावना तलाश सकती हैं और स्थानीय निकायों के माध्यम से वहां की मांग को पूरा कर सकती हैं। चीनी आयुक्त कार्यालय के प्रतिनिधि भी स्थानीय लोगों को भी सुविधा प्रदान कर रहे हैं। सैनिटाइजर अब हर व्यक्ति के लिए दैनिक आधार पर आवश्यक वस्तु है, इसलिए महाराष्ट्र में चीनी मिलों को इसका लाभ उठाना चाहिए।
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