आत्मनिर्भर गन्ना किसान: चीनी मिल में आपूर्ति के बजाय किसान खुद ही तैयार कर रहा गन्ने से उत्पाद

शाहजहांपुर, उत्तर प्रदेश: लोगों की खानपान की आदतें बदल रही है, और लोग सेहत को ज्यादा तवज्जो देते नजर आ रहे है। आजकल लोग मिलावटी खाना खाने से बचने के लिए प्राकृतिक तरीके से उत्पादित अनाज, सब्जियां, फल और अन्य जरूरी उत्पाद खरीद रहे है, चाहे फिर उसकी कीमत ज्यादा क्यों न हो। आज हम ऐसे किसान की बात करने जा रहे है, जिन्होंने प्राकृतिक तरीके से खेती कर आपनी आय में तिगुना वृद्धि की है।

कई किसानों के अनुसार, महंगाई बढ़ने से खेती से मुनाफा नहीं मिल रहा है, लेकिन अगर खेती को व्यवसायिक तरीके से किया जाए तो कम लागत में बेहतर उत्पादन के साथ अच्छी आमदनी भी मिल सकती है। आपको बता दे की, शाहजहांपुर का एक युवा प्रगतिशील किसान सरकार द्वारा निर्धारित गन्ना मूल्य पर अधिक मूल्य पर बेच रहा है ।

News 18 में प्रकाशित खबर के मुताबिक, पुवायां तहसील के छोटे से गांव बुझिया के ज्ञानेंद्र वर्मा गन्ने की खेती व्यावसायिक तौर पर कर रहे है। यह किसान अपने खेत में तैयार हुई गन्ने की उपज को चीनी मिल या कोल्हू पर न बचकर गन्ने को प्रोसेस कर उसके उत्पाद तैयार कर बाजार में बेच रहा है, जिससे उनको ज्यादा मुनाफा हो रहा है। ज्ञानेंद्र पिछले 4 साल से प्राकृतिक तरीके से गन्ने की खेती कर रहे है।

गन्ना फसल प्राकृतिक तरीके से तैयार करने का विधि…

ज्ञानेंद्र वर्मा अपने खेत में गन्ने की फसल प्राकृतिक तरीके से तैयार करते है। ज्ञानेंद्र ने बताया कि वह सबसे पहले खेत को अच्छी तरह से जोत कर भुरभुरा बनाते है। उसके बाद उसमें गोबर की सड़ी हुई खाद या वर्मी कंपोस्ट मिलाकर खेत को समतल कर लेते है। फिर ट्रेंच विधि से कूड़ बनाकर दो आंख वाले गन्ने के टुकड़े की बुवाई करते है। बुवाई से पहले बीजामृत से बीज को शोधित करते है, जिससे फसल में किसी तरह के रोग नहीं आते। बाद में भी घन जीवामृत, कुणपजल और पंचगव्य का इस्तेमाल करते हैं. जिससे उनको नाम मात्र के खर्चे से अच्छा उत्पादन मिलता है।

ज्ञानेंद्र वर्मा ने कहा कि जब गन्ने की फसल पककर तैयार हो जाती है तो वह गन्ने को चीनी मिल या कोल्हू पर बेचने की बजाय गांव के ही लगे हुए कोल्हू को किराए पर लेकर गन्ने के उत्पाद तैयार करते है। वह खुद अपने हाथों से गन्ने का सिरका, गन्ने की राव, गुड़ पाउडर, गन्ने की खांड, गुड क्यूब्स, गुड़ कैंडी और चटनी बनाकर बाजार में बेचते है। जिससे उनको प्रति क्विंटल 900 रुपए तक की आमदनी हो जाती है। जबकि सरकार ने गन्ने का न्यूनतम समर्थन मूल्य 380 रुपए निर्धारित किया है।

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