चीनी के अधिशेष उत्पादन से निपटने के लिए ‘अलग निति,अलग सोच’ की जरूरत : शरद पवार

नई दिल्ली : चीनी मंडी 
आनेवाले गन्ना क्रशिंग सीजन में चीनी के अतिरिक्त / अधिशेष उत्पादन की सम्भावना जताई जा रही है, अतिरिक्त उत्पादन को संकट के नजरिये से देखा जा रहा है, लेकिन चीनी के अधिशेष उत्पादन से निपटने के लिए सरकार को ‘अलग निति, अलग सोच’ इख़्तियार करनी होगी, तभी यह संकट मौके में तब्दील होने की गुंजाईश  एनसीपी के सर्वोच्च नेता शरद पवार ने सोमवार को जताई, भले ही उन्होंने बीजेपी की अगुवाई वाली सरकार की गन्ना किसानों को बचाने के कदमों की सराहना की, लेकिन उन्होंने चीनी उद्योग की समस्या को निपटने के लिए कुछ ठोस कदम उठाने को कहा। पवार ने राष्ट्रीय फेडरेशन ऑफ शुगर फैक्ट्रीज की 59 वीं वार्षिक आम बैठक में उद्घाटन समारोह में अपनी बात रखी।
यह बताते हुए कि, 2018-19 विपणन वर्ष में चीनी उत्पादन भी अधिशेष होने की उम्मीद है, पूर्व कृषि मंत्री पवार ने कहा कि,  चीनी के स्टॉक को कम करने  के लिए “अलग सोच” की आवश्यकता है। देश की कई सारी चीनी मिलें किसानों को गन्ना भुगतान करने में असमर्थ हैं, क्योंकि इस साल अधिशेष उत्पादन के कारण घरेलू चीनी की कीमतें कम हो गई हैं और यहां तक कि निर्यात में भी सुस्ति बनी हुई ।
पवार द्वारा सरकार के प्रयासों की प्रशंसा
उन्होंने कहा की, भारत ने 2017-18 के विपणन वर्ष (अक्टूबर-सितंबर) में रिकॉर्ड 32 मिलियन टन चीनी का उत्पादन किया। अगले विपणन वर्ष में 26 मिलियन टन की घरेलू मांग के मुकाबले यह 35-35.5 मिलियन टन बढ़ने का अनुमान है। इस स्थिति में, गन्ना उत्पादक और चीनी उद्योग के लिए सरकार का समर्थन महत्वपूर्ण है। मुझे खुशी है कि इस साल, भारत सरकार ने गन्ना उत्पादकों की रक्षा के लिए कुछ कदम उठाए  हैं।
इथेनॉल और बिजली उत्पादन का दिया सुझाव
चीनी उद्योग को सहारा देने के लिए केंद्र सरकार ने आयात शुल्क को 100 प्रतिशत तक बढ़ा दिया है, निर्यात शुल्क लगभग बंद ही कर दिया है, 3 लाख टन का बफर स्टॉक स्थापित किया है और इथेनॉल सुविधाओं को स्थापित करने के लिए 4,500 करोड़ रुपये का सॉफ्ट लोन घोषित किया है। अगले 2018-19 विपणन वर्ष में देश के चीनी उत्पादन में भी अधिशेष होने की उम्मीद है, उस अधिशेष से चीनी उद्योग प्रभावित होने से पहले ही सरकार को  “अलग सोच” अपनाने की आवश्यकता है। इसके लिए उन्होंने सुझाव दिया की, चीनी के अलावा,इथेनॉल और बिजली उत्पादन पर ध्यान देना चाहिए ।
बिजली उत्पादन से मिलों का राजस्व बढ़ेगा
पवार ने आगे कहा कि, कुछ राज्य सीधे चीनी मिलों से बिजली खरीदना पसंद नहीं करते हैं। इस स्थिति में, मिलों को इसे खुले बाजार में बेचने के बारे में सोचना चाहिए। उन्होंने कहा, “अगर उन्हें बिजली की प्रति इकाई 7 रुपये मिलती है, तो चीनी क्षेत्र की समस्या का समाधान हो जाएगा, और इथेनॉल उत्पादन पर ध्यान देना चाहिए।
चीनी बीट फसल का उत्पादन भी  संभव
उन्होंने अन्य राज्यों की तुलना में गन्ना उपज और चीनी उत्पादन के स्तर में पर्याप्त वृद्धि करने के लिए उत्तर प्रदेश की भी प्रशंसा की। उन्होंने कहा, “उत्तर प्रदेश में सबसे अधिक चीनी उत्पादन है। इसकी वसूली और फसल की पैदावार जो पिछले कई सालों तक कम रही है, आज उच्चतम स्तर तक पहुंच गई है।  देश के बाकी हिस्सों को उत्तर प्रदेश एक नई दिशा दिखा रहा है।”
गन्ना फसल के बारे में बात करते हुए उन्होंने कहा कि आलोचकों का तर्क है कि गन्ना की फसल एक ऐसे देश में बहुत सारे पानी का उपभोग करती है जिसमें सिंचाई के तहत केवल 40 प्रतिशत कृषि क्षेत्र है। इस समस्या को हल करने के लिए, उन्होंने चीनी बीट फसल के उत्पादन का सुझाव दिया जो पूरे यूरोप में किया जा रहा है।
SOURCEChiniMandi

LEAVE A REPLY

Please enter your comment!
Please enter your name here