कोल्हापुर: किसान नेता और पूर्व सांसद राजू शेट्टी ने अक्टूबर से शुरू हो रहे गन्ना पेराई सत्र के लिए घोषित उचित और लाभकारी मूल्य (एफआरपी) को लेकर केंद्र सरकार पे निशाना साधते हुए कहा कि, यह एक छलावा है। केंद्र सरकार ने बुधवार को अक्टूबर से शुरू हो रहे 2022-23 पेराई सत्र के लिए गन्ना किसानों को मिलों द्वारा चुकाए जाने वाले एफआरपी को 15 रुपये बढ़ाकर 305 रुपये प्रति क्विंटल कर दिया। सरकार ने कहा कि, इस फैसले से लगभग पांच करोड़ गन्ना किसानों और पांच लाख श्रमिकों को लाभ होगा।
द टाइम्स ऑफ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, शेट्टी ने कहा कि, सरकार ने गन्ने के लिए एफआरपी 10.25 फीसदी बेस शुगर रिकवरी रेट के साथ तय किया है। पिछले साल तक, बेस शुगर रिकवरी रेट 10% थी और उसी के अनुसार, एफआरपी तय की गई थी। तो, पिछले साल, 10% की बेस शुगर रिकवरी दर के लिए, एफआरपी 2,900 रुपये थी। अब, 10% चीनी रिकवरी दर पर प्रभावी एफआरपी सिर्फ 2,975 रुपये प्रति टन है। सरकार ने एफआरपी को बढ़ा-चढ़ाकर पेश कियाहै।
शेट्टी ने आगे कहा कि, पिछले साल की उत्पादन लागत की तुलना में गन्ने की उत्पादन लागत में भी 214 रुपये प्रति टन की वृद्धि हुई है। शेट्टी ने कहा, हम मांग कर रहे हैं कि गन्ने की कीमत इनपुट लागत के डेढ़ गुना होनी चाहिए। उन्होंने कहा, हम केंद्र सरकार को एफआरपी बेस शुगर रिकवरी रेट में बदलाव न करने की मांग करेंगे।