मुंबई : चीनी मंडी
श्री रेणुका शुगर्स (एसआरएस) लगभग 18 महीने में 24 करोड़ लीटर तक अपनी इथेनॉल क्षमता को दोगुनी करने की योजना बना रही है। ‘एसआरएस’ के अध्यक्ष अतुल चतुर्वेदी ने एक निजी चैनल के साथ एक बातचीत में कहा कि, कंपनी की 12 करोड़ लीटर की एक मौजूदा क्षमता है, इसे 18 महीने में 23-24 करोड़ लीटर तक पहुंच जाएगा । कैपेक्स चक्र पहले ही शुरू हो चुका है और वित्त वर्ष 2020 तक 350 से 400 करोड़ रुपये के निवेश के साथ पूरा करेगा।
‘एसआरएस’ को हाल ही में विल्मर शुगर होल्डिंग्स पीटीई लिमिटेड के संस्थापक नरेंद्र मुर्कंबी से लिया गया है । कंपनी के पास केबीके केम इंजीनियरिंग प्राइवेट लिमिटेड नामक सहायक कंपनी है, जो इथेनॉल उत्पादन के लिए उपकरणों का निर्माण करती है। चतुर्वेदी ने कहा कि, देश में इथेनॉल मिश्रण का वर्तमान स्तर लगभग 3 से 3.5 प्रतिशत है, अगले वर्ष इस में 2 प्रतिशत की वृद्धि हो सकती है। हालांकि, लगभग तीन वर्षों में, पर्याप्त इथेनॉल क्षमता पैदा की जाएगी और यह केंद्र सरकार के 10 प्रतिशत लक्ष्य को हासिल करने में मदद करेगी। उन्होंने कहा की, हम चीनी मिलों को नई क्षमताओं और उपकरण से जोड़े जा रहे हैं, जो बरसात के मौसम में चीनी मिलों को चलाने में मदद मिलेगी।
केंद्र सरकार का समर्थन…
चतुर्वेदी ने कहा, केंद्र सरकार की ₹ 6,000 करोड़ ब्याज सबवेन्शन योजना चीनी मिलों को और अधिक सहायता प्रदान करेगी। सरकार की 2030 तक इथेनॉल सम्मिश्रण 20 प्रतिशत तक बढ़ाने की योजना है, जो इथेनॉल उत्पादन क्षमता बढ़ाने के लिए चीनी मिलों को प्रोस्ताहित करेगी। एसआरएस अन्य देशों में कच्ची चीनी निर्यात के लिए प्रयास कर रहा है। लेकिन यह तभी हासिल किया जा सकता है, जब भारतीय कच्ची चीनी की दरें आयातित ब्राजील चीनी से कम हों। कंपनी की कंदला प्लांट की प्रति माह 1 लाख टन की शुद्धिकरण क्षमता है, इसलिए यदि स्थानीय कच्ची चीनी अच्छी कीमतों पर उपलब्ध होती है, तो एसआरएस इसे खरीद लेगा ।
कंदला प्लांट में साल भर चलने वाली बड़ी प्रसंस्करण क्षमता है।
स्थानीय मिलर्स द्वारा कच्ची चीनी की आवश्यकता पूरी तरह से पूरी नहीं की जा सकती है, इसलिए, स्थानीय मिलों से जितनी भी मात्र में कच्ची चीनी खरीदी जाएगी उसे कांडला प्लांट में उपयोग किया जाएगा। चतुर्वेदी ने यह भी स्पष्ट किया की, कच्ची चीनी की खरीद मात्रा के बारे में अनुमान लगाने में मुश्किल है, लेकिन जो कुछ भी उपलब्ध है, वह खरीदा जाएगा । एसआरएस भी अपने ‘मधुर चीनी’ ब्रांड का विस्तार करना चाहता है। यह इसे पश्चिमी भारत ब्रांड से पैन-इंडिया ब्रांड में बदलना चाहता है।