नई दिल्ली : इंडियन शुगर मिल्स असोसिएशन (ISMA) ने कहा कि, चीनी की वैश्विक कीमतों में गिरावट के कारण चीनी मिलों द्वारा नए निर्यात अनुबंधों पर हस्ताक्षर की रफ़्तार थोड़ी धीमी हुई है, लेकिन चीनी के निर्यात के सौदों के लिए अभी भी समय बचा है। अक्टूबर से शुरू हुए 2021-22 सीजन के पहले दो महीनों में चीनी मिलों ने एक साल पहले की अवधि में 3 लाख टन की तुलना में 6.5 लाख टन से अधिक चीनी का निर्यात किया है। चीनी मिलों ने चालू सीजन में अब तक 37 लाख टन के निर्यात का अनुबंध किया है। हालांकि, इनमें से अधिकतर अनुबंधों पर हस्ताक्षर तब किए गए जब वैश्विक स्तर पर कच्ची चीनी की कीमतें 20-21 सेंट प्रति पाउंड के दायरे में थीं।
ISMA ने एक बयान में कहा, कच्ची चीनी की वैश्विक कीमतों में लगभग 19 सेंट / पाउंड की गिरावट के कारण पिछले एक पखवाड़े के दौरान आगे के निर्यात अनुबंधों पर हस्ताक्षर की गति धीमी हो गई है। ISMA ने कहा कि, वर्तमान में वैश्विक कीमतें कुछ हद तक ठीक हो गई हैं और 19.5 सेंट प्रति पाउंड के आसपास मँडरा रही हैं लेकिन भारतीय चीनी के लिए निर्यात अभी भी व्यवहार्य नहीं है। एक आम राय है कि चूंकि चालू सीजन में अभी भी नौ महीने से अधिक का समय बचा है, इसलिए चीनी मिलों के पास प्रतीक्षा करने के लिए पर्याप्त समय है जब वे निर्यात अनुबंध करना चाहेंगी।