सोलापुर: जिले का चीनी उद्योग पिछले कुछ वर्षों से वित्तीय संकट से गुजर रहा है। इस वर्ष बारिश में कमी आयी है। ऐसे में मौजूदा और अगला सीजन चीनी मिलों के लिए कठिन होने वाला है। जिले में लघु एवं मध्यम परियोजनाओं में अपर्याप्त जल भण्डारण है, और बारिश की कमी के कारण नए गन्ने की बुआई में गिरावट आई है। चालू शुष्क मौसम में भी, मिलों को कम से कम तीन से साढ़े तीन महीने तक चालू रखने के लिए पर्याप्त गन्ना उपलब्ध है। लेकिन अगले साल बारिश की कमी के चलते रकबा घटने से फैक्ट्रियों के लिए गन्ना मिलना मुश्किल हो जाएगा। इसलिए दो सीजन चीनी उद्योग के लिए संकट भरे रहने वाले है।
जिले में परियोजनाओं का जल भंडारण 50 फीसदी के अंदर है। उजनी बांध में कम जल भंडारण है। पानी की कमी के कारण इस वर्ष गन्ने की नई खेती पूरी तरह से बंद है, तो अगले साल फैक्ट्रियों को गन्ने की कमी महसूस होगी। सोलापुर को राज्य में सबसे अधिक चीनी मिलों वाले जिले के रूप में जाना जाता है। पिछले साल, सहकारी समितियों और निजी जैसी 37 फैक्ट्रियों ने पेराई की थी। डेढ़ लाख गन्ना श्रमिकों की आजीविका भी इस उद्योग पर निर्भर करती है, जो हर साल जिले में लगभग 45 से 50 हजार लोगों को प्रत्यक्ष रोजगार प्रदान करता है।
गन्ने की एफआरपी से किसानों को औसतन 5,000 से 6,000 करोड़ रुपये मिलते है। चीनी उद्योग से होने वाली 90 प्रतिशत आय सीधे किसानों को जाती है।चीनी उद्योग एकमात्र ऐसा उद्योग है, जिससे स्थानीय परिवारों को लाभ होता है। यदि चीनी उद्योग अच्छा होगा, तभी अर्थव्यवस्था अच्छी होगी। हाल के वर्षों में उद्योग काफी परेशानी से गुजर रहा है। ऐसे में इस साल बनी सूखे जैसी स्थिति का उद्योग जगत पर बड़ा असर पड़ेगा। साथ ही जिले की अर्थव्यवस्था पर बड़ा आर्थिक प्रभाव पड़ेगा।