सोनीपत, 18 सितम्बर: हरियाणा में सत्ताधारी राजनीतिक दल भाजपा ने कांग्रेस को बीते पाँच साल से सत्ता से बाहर कर रखा है। चुनाव नज़दीक है ऐसे में भाजपा जहाँ फिर से सत्तासीन होने का सपना देख रही है, वहीं प्रमुख विपक्षी पार्टी कांग्रेस भी अपने पुराने वोट बैंक को साधने में जुटी है। दोनों ही दलों के लिए किसान प्राथमिक एजेण्डे में है। इसी के मद्येनजर वर्तमान सरकार ने प्रदेश में सर्वेक्षण कर ऐसी चीनी मिलों को चिन्हित किया है जिनपर वर्क लोड ज्यादा है एवं गन्ना पैराई के लिए क्षमता से ज्यादा आता है। वैसे तो प्रदेश में कई मिलों में क्षमता से ज्यादा उत्पादन किया जा रहा है लेकिन कुछ मिलों को सरकार ने वित्तीय राशि देकर इन्हें अपडेट करने का निर्णय लिया है। इन्हीं में से एक मिल है सोनीपत की देवीलाल सहकारी चीनी मिल। ये मिल आहूलाना गाँव में स्थित है। जिसके कायाकल्प के लिए किसान कई सालों से आंदोलन करते रहे है। चुनावी समय में जब एक बार फिर से इस चीनी मिल की कार्यक्षमता बढाने की माँग हुई तो तो सरकार ने भी गन्ना किसानों को नाराज़ न करते हुए इसके अपग्रेडेसन के लिये मंज़ूरी दे दी है।
प्रदेश के कृषि मंत्री ओम प्रकाश धनकड ने सोनीपत में मीडिया से बात करते हुए कहा कि कैबीनेट ने गन्ना किसानों की तक़रीबन 7-8 साल पुरानी माँग को स्वीकार करते हुए इसे तत्काल मंज़ूरी दे दी है। कृषि मंत्री धनकड ने कहा कि इस चीनी मिल की पेराई क्षमता वर्तमान पैराई क्षमता 25 हज़ार क्विंटल प्रतिदिन से बढ़ाकर 30 हज़ार क्विंटल कर दी है।
मिल की कार्यक्षमता बढाने का काम 2020-2021 तक पूरा कहने का लक्ष्य है। धनकड ने कहा कि इससे एक और जहाँ कम समय में ज्यादा चीनी का उत्पादन होगा,वही गन्ना किसानों को भी गन्ना पैराई के लिए घंटों तक अपनी बारी का इंतज़ार नहीं करना पड़ेगा।
सोनीपत कॉपरेटिव शुगर मिल लिमिटेड के प्रबंध निदेशक मोहम्मद साहनी ख़ान ने कहा कि किसानों की ये पुरानी माँग थी। इस क्षेत्र में गन्ना काफ़ी होता है इसलिए हमने आहुलाना चीनी मिल की क्षमता बढाने का प्रपोजल बनाकर सरकार को भेजा जिसे अब शासन ने मान लिया है ।
सरकार द्वारा गन्ना किसानों की माँग मान लिए जाने पर प्रतिक्रिया देते हुए सोनीपत के गन्ना किसान लादूराम ने कहा कि हमारा गन्ना इसी मिल में आता है लेकिन मिल में अक्सर गन्ना पैराई के लिए ट्रैक्टरों कि लाइन लगी रहती है। चीनी मिल प्रबंधन सुनने को तैयार नहीं रहता और मनमानी होती थी। विकल्प कोई था नहीं तो मजबूरी में हम अपनी बारी का इन्तज़ार करते रहते थे। लेकिन अब अगर चीनी मिल को आधुनिक बना रहे है तो हमें तो बहुत फ़ायदा होगा। सालों से लगातार हम आंदोलन करते आए है जिसका अब फल मिला है। हम ख़ुश है कि भले ही सरकार ने देर से निर्णय लिया लेकिन हमारे हित में फ़ैसला लिया ।
ग़ौरतलब है कि चुनावी मौसम में सरकारें किसानों को नाराज़ कर किसी भी तरह की रिस्क नहीं लेना चाहती इसलिये जैसे ही सोनीपत के गन्ना किसानों ने आहुलाना सहकारी चीनी मिल को अत्याधुनिक कर कार्यक्षमता बढ़ाने की अपनी पुरानी माँग को लेकर आँदोलन शुरु किया तो सरकार ने समय की नज़ाकत भाँपते हुए किसानों की माँग को मानकर डैमेज कंट्रोल करने का काम किया।
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