केप टाउन: पिछले कुछ वर्षों में दक्षिण अफ्रीकी चीनी उद्योग विभिन्न चुनौतियों का अनुभव कर रहा है, और ‘चीनी मास्टर प्लान 2030’ का उद्देश्य इनमें से कुछ चुनौतियों का समाधान करना और चीनी उद्योग के विकास में सहायता करना है पिछले 20 वर्षों में, घरेलू चीनी उत्पादन में लगभग 2.75 मिलियन से 2.1 मिलियन टन तक प्रति वर्ष 25% की गिरावट आई है। साथ ही गन्ना किसानों की संख्या में 60% की गिरावट आई है और इस उद्योग से संबंधित नौकरियों में 45% कमी का अनुमान है। दक्षिण अफ्रीकी चीनी संघ (एसएएसए) के कार्यकारी निदेशक ट्रिक्स त्रिकम ने कहा की, दक्षिण अफ्रीकी चीनी उद्योग को गंभीर चुनौतियों का सामना करना पड़ा है। जिसमें स्वास्थ्य संवर्धन लेवी के तहत चीनी कर का हानिकारक प्रभाव, ईस्वातिनी से चीनी की बढ़ती मात्रा, गहरे समुद्र में आयात, अपर्याप्त टैरिफ और घटते स्थानीय बाजार जैसी चुनौतियां शामिल हैं।
राष्ट्रीय आर्थिक विकास और श्रम परिषद द्वारा कमीशन किए गए एक स्वतंत्र सामाजिक-आर्थिक-प्रभाव मूल्यांकन के अनुसार, लेवी चीनी की मांग में कमी का कारण बना, जिसके परिणामस्वरूप उद्योग में लगभग 10,000 नौकरियां खत्म हो गई। त्रिकम आगे कहते हैं, अप्रैल 2018 में हेल्थ प्रमोशन लेवी की शुरुआत के बाद से चीनी उद्योग को लगभग R1.2-billion के राजस्व का नुकसान हुआ है। चीनी कर के लागू होने के कारण दो चीनी मिलें बंद हो गई है, जो इस क्षेत्र की पहले से ही खराब वित्तीय स्थिति से जूझ रही थी। त्रिकम कहते हैं, उद्योग की स्थिरता और विकास के लिए मास्टर प्लान गंभीर रूप से महत्वपूर्ण है, और यह योजना उद्योग की चुनौतियों के लिए रातों रात समाधान नहीं है, लेकिन यह चीनी उद्योग को फायदेमंद बनाने के लिए एक प्रमुख कदम के रूप में कार्य करेगा।