नई दिल्ली : चीनी मंडी
भारतीय चीनी मिलें निर्यात में ब्राज़ील को टक्कर देने में जुट गई है, 1 अक्टूबर से निर्यात शुरू करने के लिए भारतीय चीनी उद्योग द्वारा चीन से ईरान तक के खरीदारों के साथ अनुबंध करने की कोशिश की जा रही हैं, हालही में सरकारी सब्सिडी के घोसणा के कारण निर्यात की हलचले तेज हुई है।
अधिशेष की समस्या से निपटने की कवायत…
इंडियन शुगर मिल्स असोसिएशन (इस्मा) के अनुसार, जब तक प्रतिद्वंद्वी ब्राजील से वैश्विक बाज़ार में चीनी की आपूर्ति शुरू नहीं होती है, तब तक नई चीनी फसल का इंतजार करने के बजाय मिलर्स देश की रिकॉर्ड चीनी स्टॉक से शिपिंग शुरू कर देंगे। जिससे अधिशेष की समस्या कुछ हद तक तो कम हो जाएगी। चीनी उद्योग चीन, पूर्वी अफ्रीका, बांग्लादेश, ईरान और श्रीलंका के आयातकों से अगले महीने से शिपमेंट शुरू करने के दृष्टिकोण के साथ बात कर रहे हैं।अधिक निर्यात से वैश्विक कीमतों पर और दबाव बढ़ सकता है, जो एक साल के निचले स्तर के आसपास मँडरा रहे हैं, और बड़े उत्पादकों को परेशान कर रहा हैं। ऑस्ट्रेलिया, ब्राजील और ग्वाटेमाला ने संयुक्त रूप से विश्व व्यापार संगठन (डब्ल्यूटीओ) को भारत की सब्सिडी को चुनौती देने के लिए एक पैनल गठित करने को कहा है। भारतीय मिलर्स का कहना है कि, हाल के वर्षों में बंपर उत्पादन के कारण देश भारी भंडार से जूझ रहा है और शिपमेंट में वृद्धि से उसकी समस्या को कम करने में मदद मिल सकती है।
केंद्र सरकार द्वारा निर्यात के लिए प्रोत्साहन राशि…
केंद्र सरकार ने 2019-20 में 60 लाख टन चीनी के निर्यात को सब्सिडी देने के लिए पिछले महीने 6,268 करोड़ रुपये के प्रोत्साहन को मंजूरी दी है। सरकार के इस कदम का उद्देश्य विशाल चीनी भंडार में कटौती करना है।
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