कोलंबो : सार्वजनिक वित्त पर संसदीय समिति के अध्यक्ष, डॉ. हर्षा डी सिल्वा ने कल संसद को बताया कि वह चीनी कर घोटाले को छुपाने के वित्त मंत्रालय के अधिकारियों के प्रयास के खिलाफ विशेषाधिकार समिति में जाने की योजना बना रहे हैं। सांसद डॉ. हर्षा डी सिल्वा ने कहा, पूरा देश जानता है कि चीनी कर घोटाला हुआ था, जिसके परिणामस्वरूप सरकार को 16 अरब रुपये से अधिक का नुकसान हुआ। महालेखा परीक्षक ने इस घोटाले की रिपोर्ट संसद को दी थी। इसकी जांच सीआईडी और रिश्वत आयोग ने की थी।
इस मामले पर सीओपीएफ समेत संसदीय समितियों में बहस हुई।इस पर सदन में बहस हुई।वित्त मंत्री रंजीत सियाम्बलपतिया ने भी इस सदन में घाटे की भरपाई के लिए एक तंत्र खोजने की आवश्यकता के बारे में बात की है।इन सबके बावजूद, वित्त मंत्रालय के व्यापार और निवेश नीति विभाग के सूचना अधिकारी, डी.एम.ए. दासनायके का कहना है कि करों में बदलाव से कोई नुकसान नहीं हुआ। डॉ. हर्षा डी सिल्वा ने कहा की, यह सूचना अधिकारी कौन है? वह किस आधार पर कह सकते हैं कि कोई नुकसान नहीं हुआ। क्या इसका मतलब यह है कि राजकोष को इस घोटाले के लिए ज़िम्मेदार लोगों से यह पैसा वसूलने की ज़रूरत नहीं है?”
डॉ. डी सिल्वा ने कहा कि, चीनी कर घोटाला उनकी अध्यक्षता वाले सीओपीएफ में एक महत्वपूर्ण विषय रहा है और सीओपीएफ ने इस घोटाले के कारण हुए नुकसान की भरपाई के लिए अथक प्रयास किया है। वित्त मंत्रालय के व्यापार और निवेश नीति विभाग का यह आधिकारिक रुख सीओपीएफ सहित इस सदन के कई लोगों के विशेषाधिकारों का उल्लंघन है।ऐसे में, मैं इस मामले को सीओपीएफ के पास भेजता हूं, और इसके सदस्यों की मंजूरी के साथ मैं इसे संसद की विशेषाधिकार समिति के पास ले जाता हूं।