चीनी मिलों को झटका: महाराष्ट्र स्टेट कोओपरेटिव बैंक ने चीनी का वैल्यूएशन घटाया

कोल्हापुर: एथेनॉल उत्पादन पर प्रतिबंध, चीनी निर्यात पर प्रतिबंध, ‘एफआरपी’ में बढ़ोतरी और ‘एमएसपी’ में कोई बदलाव नहीं होने से पहले से ही वित्तीय संकट से गुजर रहे चीनी उद्योग को महाराष्ट्र स्टेट कोऑपरेटिव बैंक (MSC) ने चीनी का वैल्यूएशन घटाकर बड़ा झटका दिया है। पहले चीनी मिलों को लोन देते समय बैंक ने चीनी की 3,400 रुपये प्रति क्विंटल कीमत निर्धारित की थी, लेकिन अब दर में 100 रुपये की कटौती कर 3,300 रुपये प्रति क्विंटल कर तय की है। इससे मिलों को पहले से कम लोन मिलेगा, और वह किसानों का समय भुगतान करने में नाकाम हो सकती है।

चीनी का वैल्यूएशन प्रति क्विंटल 100 रुपये घटाया…

महाराष्ट्र स्टेट कोओपरेटिव बैंक (MSC) ने पहले निर्धारित 3,400 रुपये प्रति क्विंटल की दर में 100 रुपये की कटौती कर 3,300 रुपये प्रति क्विंटल कर दी है। इस फैसले पर 02-3-24 से अमल शुरू हो गया है। राज्य सहकारी बैंक के इस फैसले से पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रही चीनी मिलों को और मुश्किलों का सामना करना पड़ेगा। मिलें गन्ना उत्पादकों के गन्ने के बिल का भुगतान समय पर नहीं कर पाएंगी।

आर्थिक समस्याओं में फंस सकता है चीनी उद्योग : पी.जी.मेढ़े

इस बारे में ‘चीनीमंडी’ से बात करते हुए चीनी उद्योग विशेषज्ञ पी. जी. मेढ़े ने कहा कि, बाजार में चीनी की कीमत और गन्ना सीजन की शुरुआत में एथेनॉल उत्पादन से होने वाली आय को देखते हुए एफआरपी की घोषणा की गई थी। लेकिन अब चीनी की कीमतें गिरकर 3350 से 3400 रुपये पर आ गई हैं, यानी लक्ष्य कीमत से 350 से 400 रुपये कम हुई है। इसके अलावा, एथेनॉल उत्पादन पर नियंत्रण के कारण चीनी मिलों के सामने किसानों के बिलों का भुगतान कैसे किया जाए, यह सवाल खड़ा हो गया है।

ध्वस्त हो जाएगा चीनी मिलों का वित्तीय गणित…

मेढ़े ने कहा कि, MSC बैंक के 1-3-24 के आदेश के मुताबिक 100 किलो चीनी पर 3300 रुपये का 90 फीसदी यानी 2970 रुपये लोन दिया जाएगा। उसमें से पूर्व निर्धारित टैगिंग 550 रुपये तथा अतिरिक्त टैगिंग 100 रुपये मिलाकर कुल 650 रुपये काट लिए जाएंगे, जिससे मिलों के पास मात्र 2120 रुपये रह जाएंगे। 10.25% रिकवरी ध्यान में रखी जाये, तो इस शेष राशि से प्रति टन 3150 रुपये कैसे चुकायें? यह सवाल मिलर्स को सता रहा है।

चीनी मिलों पर बढ़ने वाला है कर्ज…

चीनी आयुक्तालय के आंकड़ों के अनुसार, 2023-24 सीज़न के लिए 03 मार्च 2024 तक राज्य में चीनी रिकवरी 10.06 प्रतिशत थी। अब तक 925.89 लाख टन गन्ने की पेराई की जा चुकी है और लगभग 93.17 लाख टन चीनी का उत्पादन किया जा चुका है। यानी एक टन गन्ने से 100 किलो चीनी प्राप्त होती है। उसके लिए आपको सिर्फ 2120 रुपये का लोन मिलेगा। किसानों के एफआरपी भुगतान के साथ साथ नौकरों के वेतन, व्यापार भुगतान, गन्ना कटाई – ढुलाई बिल आदि के लिए मिलों के पास पैसा बचने की गुंजाईश काफी कम है। कुल मिलाकर चीनी मिलें दिन-ब-दिन आर्थिक तंगी से जूझ रही हैं और बढ़ते कर्ज के कारण उन्हें NPA का सामना करना पड़ सकता है।

एथेनॉल उत्पादन की अनुमति की मांग…

नेशनल कोआपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन के माध्यम से चीनी उद्योग के सामने खड़ी समस्याओं के बारे में 29-2-24 को दिल्ली में कृषि मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारियों के साथ बैठक में चर्चा की गई। इस अवसर पर नेशनल कोआपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज फेडरेशन के प्रतिनिधिमंडल द्वारा चीनी की कीमत तुरंत 4000 प्रति क्विंटल करने और सिरप और बी हेवी मोलासेस से एथेनॉल उत्पादन पर लगाए गए नियंत्रण को रद्द करने की मांग की गई है। मेढ़े ने कहा, इस संबंध में केंद्र सरकार की ओर से शीघ्र निर्णय लेना बहुत जरूरी है, अन्यथा बकाया गन्ना बिल में वृद्धि के कारण गन्ना किसानों को वित्तीय कठिनाइयों का सामना करना पड़ सकता है।

 

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