चेन्नई: AIADMK महासचिव Edappadi K Palaniswami ने कहा कि, प्रदेश के गन्ना किसानों को खड़ी फसल में फंगल रोगों के प्रकोप के कारण गंभीर नुकसान का सामना करना पड़ रहा है। उन्होंने राज्य सरकार से प्रभावित गन्ना किसानों को प्रति एकड़ न्यूनतम 50,000 रुपये का मुआवजा देने का आग्रह किया। उन्होंने कहा कि, पोक्का बोइंग, रूट ग्रब और अन्य कवक रोगों के प्रकोप के अलावा, गन्ने को जंगली सूअर खा रहे है। इससे किसानों को काफी बड़ा आर्थिक नुकसान हो रहा है।
Palaniswami ने कहा कि, कृषि मंत्री एम आर के पन्नीरसेल्वम का गृह जिला विल्लुपुरम भी इसका अपवाद नहीं है। गन्ना लगभग 25,000 एकड़ में उगाया गया था, लेकिन पोक्का बोइंग, रूट ग्रब और अन्य कवक रोगों से प्रभावित है। उन्होंने दावा किया की, लगभग 8,000 एकड़ गन्ना पूरी तरह प्रभावित हुआ है।उन्होंने कहा, जिन किसानों ने फसल उगाने के लिए बैंक ऋण लिया था, उन्होंने अब घाटे के कारण ऋण चुकाने में असमर्थता व्यक्त की है।
उन्होंने आगे कहा की, उत्तर तमिलनाडु के कुड्डालोर, विल्लुपुरम और कल्लाकुरिची जिलों में गन्ने की ज्यादा खेती होती है। लेकिन किसानों की मुसीबतें बढ़ती जा रही है, क्योंकि इन जिलों की चीनी मिलों ने खरीदे गए गन्ने का लाभकारी मूल्य नहीं दिया है। पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा, चूंकि गन्ने की खेती घाटे का सौदा बन गई है, इसलिए किसान धान, मक्का और अन्य फसलों की खेती की ओर रुख कर रहे है।
उन्होंने कृषि मंत्री और विभाग के अधिकारियों से रोग प्रभावित खेतों का तुरंत सर्वेक्षण करने और खड़ी फसल की स्थिति का आकलन करने की मांग की। जिन बीमा कंपनियों ने फसल के नुकसान की भरपाई करने से इनकार कर दिया है, उन्हें उत्पादकों को मुआवजा देने का निर्देश दिया जाना चाहिए।