नई दिल्ली, मुजफ्फरनगर, 24 सितम्बर: केन्द्र सरकार देश में कृषि विकास के क्रम में गन्ना किसानों को आर्थिक मज़बूती देकर उन्हें तरक़्क़ी के प्रगतिपथ पर आगे ले जाने की दिशा में काम कर रही है। केन्द्र सरकार की योजनाओं का फायदा देश के किसानों को मिले इसके प्रयास किए जा रहे है। लेकिन बावजूद सरकारी प्रयासों के गन्ना किसान को योजनाओं का पूरा पूरा फायदा नहीं मिल पा रहा है। अपने अधिकारो की माँग को लेकर हाल ही में पश्चिमी यूपी के किसानों ने दिल्ली पहुंच कर सरकार के सामने अपना पक्ष रखा। भारतीय किसान यूनियन के बैनर तले एकत्रित हुए किसानों ने सरकार से गन्ना बकाया दिलाने की मांग की और गन्ने की फसल का न्यूनतम समर्थन मूल्य बढ़ाने पर जोर देते हुए गन्ना से चीनी तक प्रंस्करण होने के बाद जो मूल्यवर्धन होता है उसी अनुपात में किसानों को भी लाभ दिलाने पर जोर दिया।
गन्ना किसानों के प्रतिनिधिमंडल नेता ललित राणा ने हमारी टीम से बात करते हुए कहा कि पश्चिमी यूपी का बेल्ट गन्ना उत्पादन के मामले में देश के अग्रणी क्षेत्रों में शुमार किया जाता है, लेकिन किसानों की आर्थिक स्थिति के मामले में यहाँ के किसान अन्य राज्यों के किसानों की तुलना में काफ़ी पीछे है। ऐसा नहीं कि यहां की चीनी मीलें सम्मपन्न नहीं है लेकिन हकीकत ये है कि गन्ना किसानों के प्रति उनका नजरिया गंभीर नहीं है। यहां का किसान मेहनत करके गन्ना उगाता है लेकिन जब चीनी मिल में गन्ना लेकर जाता है तो उसे उसकी गाढी मेहनत की कमाई के बदले चीनी मिलों की तरफ से मिलता है तो सिर्फ आश्वासन। राणा ने कहा कि हमने कृषि मंत्रालय के अधिकारियों को इसी तरह की 15 मांगो का ज्ञापन दिया है जिस पर मंत्रालय के अधिकारियों ने अमल करने का आश्वासन दिया है। अगर सरकार हमारी मांगे नहीं मानेगी तो हमें अगले कदम पर फिर से विचार करना होगा। राणा ने कहा कि पिछले साल भी हम लोगों ने दिल्ली रुख किया था तो तत्कालीन कृषि राज्य मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत ने हमारी मांगो पर विचार कर हल करने की बात कही थी। उनमें कुछ मांग सरकार ने पूरी कर दी लेकिन अभी भी किसानों के हित में बहुत कुछ किए जाने की जरूरत है। राणा ने कहा कि गन्ना उत्पादक किसानों को बिजली, पानी जैसी समस्याओं से हर दिन दो चार होना पडता है लेकिन चीनी मिलें समय पर हमारा पैसा नहीं देती तो हमें घर परिवार का खर्च चलाने से लेकर तमाम कार्यों के लिए आर्थिक तंगी झेलनी पडती है। राणा ने स्वामीनाथन आयोग की शिफारिश लागू करने के साथ गन्ना का नूयनतम समर्थन मूल्य तय करने वाली समिति में किसान प्रतिनिधियों को भी शामिल करने पर भी जोर दिया।
सामली जिले के गन्ना किसान भैरव लाल ने कहा कि जब हम अपने गन्ने को चीनी मिलों में पैराई के लिए लाते है तो चीनी मिलें जल्द बकाया देने का आश्वासन देती है लेकिन जब चीनी मिलें चीनी निर्यात करने के बाद भी हमारा बकाया नहीं देती है तो उनकी नीयत पर शक होता है। भैरव लाल ने सरकार से इस दिशा में ठोस पहल करने की बात करते हुए किसानों के साथ चीनी मिलों द्वारा किये जाने वाले शोषण से मुक्त करने की मांग की। मुजफ्फरनगर के धन्धेरा निवासी गन्ना किसान रामरतन ने कहा कि चीनी मिलें हमारा बकाया चुकाने के नाम पर बैंको से ऋण लेती है और उसे अन्य कार्यों में उपयोग कर लेती है। सरकार के कहने के बाद भी उनका रवैया नहीं बदल रहा। इस पर सरकार को गंभीर कदम उठाकर दोषी चीनी मिलों के खिलाफ सख़्त कार्यवाई करनी चाहिए।
गन्ना किसानों की मांगो के मसले पर मीडिया से बात करते हए केन्द्रीय कृषि मंत्रालय के संयुक्त सचिव विवेक अग्रावाल ने कहा कि गन्ना किसानों के प्रतिनिधियों से सकारात्मक बात हुई है। उन्होने 15 सूत्री मांगो का ज्ञापन दिया है उन पर किसानो के हितों को ध्यान में रख कर सरकार विचार करेगी। अग्रवाल ने कहा कि किसानों की पांच मांगे तो यथा समय मान ली गयी है बाकी पर भी किसानों के पक्ष पर ध्यान रखा जाएगा।
अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने चीनी मिलों को साफ निर्देश दिया है कि गन्ना किसानों का बकाया समय पर चुकाया जाए। जो मिलें लापरवाही कर रही है उनके खिलाफ सख्त कार्यवाही की जाएगी। इसके अलावा भविष्य में गन्ना किसानों को चीनी मिलों के आगे हाथ ना फैलाना पडे इसके लिए कठोर नीति बनेगी। राज्य सरकार के दिशानिर्देशों में गन्ना पैराई सत्र के दौरान मॉनिटरिंग टीम इसकी निगरानी करेगी ताकि चीनी मिलों की मनमानी पर लगाम लगे और गन्ना किसानों को उनके गन्ने के दाम समय पर मिले। विवेक अग्रवाल ने कहा कि केन्द्र सरकार किसानों की आमदनी को दो गुना करने के लिए कृत संकल्पित है और इसमें चीनी मीलों की सार्थक भूमिका बेहद ज़रूरी है।
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