चंडीगढ़ : मुख्यमंत्री मनोहर लाल खट्टर ने दावा किया है कि, हरियाणा में पराली जलाने के मामले पंजाब की तुलना में 10 प्रतिशत भी नहीं हैं। उन्होंने कहा, पिछले साल पराली जलाने की 2,561 घटनाएं हुई थीं, जबकि इस साल यह घटकर 1,925 रह गई है, जबकि इस साल पंजाब में 13,873 घटनाएं हुई हैं। सीएम मनोहर लाल खट्टर ने कहा, हमने किसानों के बीच जागरूकता पैदा की और दंड लगाने और प्राथमिकी दर्ज करने के अलावा कानूनी कार्रवाई भी की। जिसके परिणामस्वरूप पंजाब की तुलना में हरियाणा में पराली जलाने की घटनाओं में काफी कमी आई है।
इस साल पंजाब में पराली जलाने की बढ़ती घटनाएं गंभीर चिंता का विषय बन गई हैं।केंद्रीय पर्यावरण मंत्रालय ने कहा है कि एक्यूआई के तेजी से बिगड़ने की संभावना है क्योंकि 24 अक्टूबर तक राज्य में केवल 45-50 प्रतिशत बुवाई क्षेत्र में ही कटाई हुई थी। पर्यावरण मंत्रालय के सूत्रों ने एएनआई को बताया था कि दिल्ली और राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र में प्रतिकूल वायु गुणवत्ता में पराली जलाने का योगदान तेजी से बढ़ रहा है और वर्तमान में यह लगभग 18-20 प्रतिशत है।
वायु गुणवत्ता प्रबंधन आयोग (CAQM) के लिए ISRO द्वारा विकसित मानक प्रोटोकॉल के अनुसार, 15 सितंबर, 2022 से 26 अक्टूबर, 2022 की अवधि के लिए, पंजाब में धान के अवशेष जलाने की कुल घटनाएं इसी पिछले साल की 6,463 की तुलना में 7,036 हुई है। CAQMने आगे कहा कि, मौजूदा धान कटाई के मौसम के दौरान लगभग 70 प्रतिशत खेत में आग केवल छह जिलों अर्थात् अमृतसर, फिरोजपुर, गुरदासपुर, कपूरथला, पटियाला और तरनतारन में लगी थी।रिपोर्ट किए गए कुल 7,036 मामलों में से 4,315 पराली जलाने की घटनाएं केवल पिछले छह दिनों के दौरान दर्ज की गईं, यानी लगभग 61 प्रतिशत।इसरो प्रोटोकॉल के अनुसार, इस साल 15 सितंबर से 28 अक्टूबर की अवधि के लिए, पंजाब में पिछले वर्ष की इसी अवधि के 7,648 की तुलना में कुल 10,214 धान अवशेष जलाने की घटनाएं हुई हैं, यानि लगभग 33.5 प्रतिशत वृद्धि है ।