नई दिल्ली : चीनी मंडी
करोड़ो रुपयों के गन्ना भुगतान की समस्या से परेशान चीनी मिलों को अपने-अपने राज्य सरकारद्वारा राहत देने के प्रयास जारी है। उत्तर प्रदेश, महाराष्ट्र, हरियाणा सरकार ने अपनी प्रदेश की चीनी मिलों को क्रशिंग के लिए सब्सिडी मुहैय्या कराई है। हाल ही में उत्तर प्रदेश और हरियाणा सरकार की राज्य कीमत निर्धारण समिति (SAP) ने सितम्बर में तक़रीबन 10,000 करोड़ के बीच नगद सब्सिडी दे दी। इस मदद का उद्देश यही था की, चीनी मिलें किसानों का भुगतान समय पर कर सकें और उनके पास आर्थिक तरलता रहे ।
उत्तर प्रदेश सरकार ने चीनी मिलों को पर क्विंटल 4.50 रूपये क्रशिंग सब्सिडी और 5 प्रतिशत पर 4000 करोड़ का सॉफ्ट लोन दिया, ताकि मिलों के पास वर्किंग कैपिटल आ जाए और गन्ना किसानों का भुगतान भी हो सके। यह लोन पांच साल में चुकाना होगा और जुलाई 2019 से लोन की किश्ते शुरू होगी। हरियाणा सरकार ने भी मिलों को पर क्विंटल 16 रूपये क्रशिंग सब्सिडी मुहैय्या कराई, जिससे मिलें किसानों का बकाया समय पर कर सके। महाराष्ट्र सरकार भी चीनी मिलों को राहत देने के लिए कई सहायता भरें कदम उठा रही है।
आईसीआरए रेटिंग्स के सीनियर वाइस प्रेसिडेंट एंड ग्रुप हेड, सब्यासाची मजूमदार ने कहा की, यूपी सरकार द्वारा 4.50 रुपये / क्विंटल की नकद सब्सिडी 400 से 450 / एमटी तक चीनी मार्जिन में सुधार करने की संभावना है। इसके अलावा, 4000 करोड़ रुपये के सॉफ्ट लोन 5% की कम ब्याज दर पर हैं, जो मिलों को कार्यशील पूंजीगत सीमाओं के मुकाबले ब्याज लागत को बचाने में सक्षम बनाती है।
यूपी में, शुगर अंडरटेकिंग्स-2018 (एसईएफएएसयू-2018) व्यवस्था को वित्तीय सहायता बढ़ाने के लिए योजना के तहत ऋण की सुविधा का लाभ उठाने वाली चीनी मिलों को 30 नवंबर, 2018 तक क्रशिंग सीजन 2017 और 2018 के बकाया मूल्य का 100% भुगतान करना होगा ।
हरियाणा सरकार ने केवल उन मिलों के लिए क्रशिंग सीजन 2018 के लिए सब्सिडी / ऋण को मंजूरी दे दी है जिन्होंने 2015 और 2016 में किए गए ऋणों के खिलाफ बकाया राशि का भुगतान किया था। दिए जाने वाले ऋण और सब्सिडी की राशि एसएपी – एफआरपी (11.03% की औसत वसूली पर) के सूत्र पर आधारित है।