पुणे: चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने सोमवार को मराठवाड़ा की 20 चीनी मिलों द्वारा गन्ना उत्पादकों के बकाये राशि पर ब्याज गणना करने के लिए सरकारी ऑडिटर्स नियुक्त करने के आदेश दिए हैं। यह आदेश चीनी मिलों द्वारा वर्ष 2014-15 के पेराई सत्र की लंबित हो रहे किसानों के गन्ने के भुगतान पर ब्याज की गणना न करने और संपूर्ण जानकारी न दिए जाने के कारण आया है।
इससे पहले शिवसेना नेता प्रल्हाद इंगोले ने विलंबित भुगतान पर 15 प्रतिशत ब्याज के भुगतान के लिए बॉम्बे उच्च न्यायालय की औरंगाबाद पीठ का रुख किया था। गन्ना नियंत्रण आदेश, 1965 के अनुसार, ऐसी चीनी मिलें जो गन्ने की बिक्री के 14 दिनों के भीतर सरकार द्वारा घोषित उचित और पारिश्रमिक मूल्य (एफआरपी) से भुगतान करने में विफल रहती हैं, उन्हें 15 प्रतिशत की दर से ब्याज का भुगतान करना होता है। ऐसा आरोप है की चीनी मिलें इस कानून को नजरअंदाज करती आई हैं।
इंगोले के उच्च न्यायालय में जाने के बाद तत्कालीन चीनी आयुक्त डॉ बिपिन शर्मा ने इस मामले पर कई सुनवाई की, जिसके बाद इस अवैतनिक एफआरपी को मंजूरी दे दी गई, लेकिन इसमें शामिल ब्याज घटक को छुआ नहीं गया। उसके बाद श्री इंगोले ने ब्याज के भुगतान के लिए फिर से उच्च न्यायालय का रुख किया।
उच्च न्यायालय ने चीनी आयुक्त को इस मामले की सुनवाई करने और ब्याज के भुगतान पर निर्णय लेने के लिए कहा। गायकवाड़ ने इंगोले की याचिका की सुनवाई की और मिलों को ब्याज घटक की गणना करने और आदेश के 60 दिनों के भीतर भुगतान करने का आदेश दिया।
राज्य की 20 चीनी मिलों के प्रबंधनों ने ब्याज के भुगतान के आदेश को रोकने के लिए राज्य सरकार से मुलाकात की। लेकिन इंगोले अपने मामले की सुनवाई के लिए हाई कोर्ट और राज्य सरकार का सहारा लिया। राज्य सरकार ने अबतक ब्याज के भुगतान के बारे में कोई निर्णय नहीं लिया है। गायकवाड़ ने ऑडिटरों को ब्याज की गणना के लिए नियुक्त किया है। सरकार के ये ऑडिटर्स अब इसकी गणना करेंगे और डेटा को आयुक्त के कार्यालय में जमा करेंगे। गौरतलब है कि गायकवाड़ ने पहले ब्याज का भुगतान न करने वाली चीनी मिलों की संपत्तियों की कुर्की के आदेश जारी करने के संकेत दे चुके हैं।
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