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चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने एफआरपी की बकाया राशि भुगतान करने में नाकामयाब रही चीनी मिलों के खिलाफ राजस्व रसीद रजिस्ट्री (आरआरसी) के तहत जब्ती की कार्रवाई करने की चेतावनी दी है। चीनी आयुक्त कार्यालय में आयोजित बैठक में कुल गन्ना एफआरपी में 70 प्रतिशत से नीचे भुगतान करनेवाली 44 चीनी मिलों में से 30 मिलों के प्रतिनिधि उपस्थित थे। कई मिलों के प्रतिनिधियों ने चीनी की मांग ठप्प होने के कारण भुगतान के लिए समय सीमा बढ़ाने की मांग की।
2018-19 सीझन में राज्य में, 31 मार्च तक एफआरपी बकाया लगभग 4,800 करोड़ रुपये है। बढ़ते बकाया भुगतान के कारण किसानों द्वारा भुगतान को लेकर दबाव दिनोंदिन बढ़ता ही जा रहा है, इसके मद्देनजर चीनी आयुक्त ने किसानों को एफआरपी की अधिकतम राशि प्राप्त करने के लिए मिलों को नोटिस जारी किया था। जिन मिलों के प्रतिनिधि अनुपस्थित थे, उनके मिल के खिलाफ किसी भी समय कार्रवाई होने की सम्भावना है।
केंद्र सरकार द्वारा बिक्री के हर महिने आवंटित किया जानेवाला चीनी कोटा बेचने में कई समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, ऐसे में किसानों का भुगतान कैसे करें, यह सवाल भी सुनवाई के दौरान कई मिलों द्वारा उठाया गया था। इस बीच, केंद्र सरकार की सॉफ्ट लोन की राशि मिलने में समय लगेगा। शेखर गायकवाड़ ने कहा कि,10 मिलें अप्रैल के अंत तक और 10 मिलों ने मई के अंत तक किसानों को रकम देने पर सहमति जताई है।
चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने सुझाव दिया कि, मिलों को अब खुदरा बिक्री की ओर मुड़ना चाहिए। इससे मिलें अपना रास्ता खुद ही तलाश सकेंगी । यदि भविष्य में मिलों द्वारा यह मात्रा बढ़ जाती है, तो चीनी मिलें चीनी बिक्री का एक नेटवर्क तैयार होगा । आयुक्त ने स्पष्ट किया है कि, मिलों को चीनी की बिक्री के लिए कदम उठाने चाहिए।