पुणे: बार बार निर्देश देने के बावजूद कई सारे चीनी मिलें गन्ना बकाया चुकाने में विफल रहती है, जिसको लेकर न सिर्फ किसानों में आक्रोश रहता है बल्कि सरकार और चीनी आयुक्तालय पर भी सवाल उठाये जाते है। जिसके कारण अब महाराष्ट्र चीनी आयुक्तालय गन्ना बकाया मुद्दे को लेकर अगले सीजन से सख्त रहने वाली है।
अगले सीजन से चीनी मिले अगर गन्ना किसानों को भुगतान देने में विफल रहती है तो उनपर 14 वें दिन पर ही कार्यवाही की जायेगी।
चीनी आयुक्त शेखर गायकवाड़ ने मंगलवार को पुणे में सीजन शुरवात होने से पहले बैठक आयोजित की, जहा उन्होंने कहा की अगर चीनी मिलें भुगतान करने में विफल रहेंगी तो उन्हें कार्यवाही का सामना करना पड़ेगा, जैसे कि राजस्व वसूली संहिता के तहत उनकी संपत्तियों की जब्ती।
बैठक में गायकवाड़ ने कहा कि उनका कार्यालय बकाया भुगतान न करने के 14 वें दिन पर जब्ती आदेश जारी करेगा। उन्होंने कहा, “पिछले सीजन में, हमने सीजन के शुरुआती दिनों में इस तरह के आदेश जारी करने का कदम उठाया था, जिसके परिणामस्वरूप एफआरपी 98 प्रतिशत चुकायी गई।”
गन्ना नियंत्रण अधिनियम 1966 के अनुसार, गन्ने के क्रशिंग के बाद किसानों को 14 दिनों के भीतर एफआरपी भुगतान करना जरूरी होता है। यदि वे बकाया का भुगतान करने में विफल रहते हैं, तो उन्हें किसानों को प्रति वर्ष 15 प्रतिशत का अतिरिक्त ब्याज देना होगा।
नियम मिलों को किस्तों में एफआरपी के भुगतान के लिए किसानों के साथ एक समझौते में प्रवेश करने की भी अनुमति देता है। पिछले सीजन में, केवल 36 मिलों ने इस तरह के समझौते किए थे।
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