पर्याप्त आपूर्ति और महंगाई पर रोक लगाने के लिए चीनी निर्यात पर प्रतिबंध: सरकार

नई दिल्ली : बढ़ती महंगाई के बीच गेहूं के बाद केंद्र सरकार ने अब एक जून से चीनी के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया है। सरकार ने बुधवार को घरेलू उपलब्धता और मूल्य स्थिरता बनाए रखने के लिए 1 जून, 2022 से 22 (अक्टूबर-सितंबर) तक 100 लाख मीट्रिक टन तक के चीनी निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया। विदेश व्यापार महानिदेशालय (डीजीएफटी) द्वारा जारी आदेश के अनुसार 1 जून 2022 से 31 अक्टूबर 2022 तक या अगले आदेश तक, जो भी पहले हो, चीनी के निर्यात के लिए विशिष्ट परिस्थिति में ही अनुमति दी जाएगी। खाद्य एवं सार्वजनिक वितरण विभाग के सचिव सुधांशु पांडे ने कहा कि चीनी के रिकॉर्ड निर्यात के चलते यह निर्णय लिया गया है।

पांडे ने कहा कि, चीनी सीजन 2017-18 में, केवल 6.2 एलएमटी चीनी का निर्यात किया गया था, जबकि 2018-19 में 38 लाख मीट्रिक टन और 2019-20 में 59.60 लाख मीट्रिक टन चीनी का निर्यात किया गया था। हालांकि, चीनी सीजन 2020-21 में 60 एलएमटी के लक्ष्य के मुकाबले लगभग 70 एलएमटी का निर्यात किया गया है। चालू चीनी सीजन 2021-22 में लगभग 90 एलएमटी के निर्यात के अनुबंध पर हस्ताक्षर किए गए हैं, चीनी मिलों से लगभग 82 एलएमटी चीनी निर्यात के लिए भेजी गई है और लगभग 78 एलएमटी निर्यात किया गया है। पांडे ने कहा कि, चालू चीनी सीजन 2021-22 में चीनी का निर्यात ऐतिहासिक रूप से सबसे अधिक है। सरकार इस बार अपने पास कम से कम दो से तीन महीने का अतिरिक्त चीनी स्टॉक रखना चाहती है जिससे देश के लोगों की बढ़ती मांग को पूरा किया जा सके। उन्होंने कहा कि, नए सत्र में पेराई कर्नाटक में अक्टूबर के अंतिम सप्ताह में और महाराष्ट्र में अक्टूबर से नवंबर के अंतिम सप्ताह में और उत्तर प्रदेश में नवंबर में शुरू होती है। पांडे ने कहा, इसलिए आम तौर पर नवंबर तक चीनी की आपूर्ति पिछले साल के स्टॉक से होती है।

उन्होंने कहा, चीनी के निर्यात में अभूतपूर्व वृद्धि और देश में चीनी के पर्याप्त भंडार को बनाए रखने की आवश्यकता के साथ-साथ चीनी की कीमतों को नियंत्रण में रखते हुए देश के आम नागरिकों के हितों की रक्षा करने की आवश्यकता को ध्यान में रखते हुए, भारत सरकार ने यह निर्णय लिया है। चीनी मिलों और निर्यातकों को चीनी निदेशालय, खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग से निर्यात रिलीज ऑर्डर (ईआरओ) के रूप में अनुमोदन लेने की आवश्यकता है। सरकार चीनी उत्पादन, खपत, निर्यात के साथ-साथ पूरे देश में थोक और खुदरा बाजारों में कीमतों सहित चीनी क्षेत्र की स्थिति की लगातार निगरानी कर रही है। भारत चालू वर्ष में दुनिया में चीनी का सबसे बड़ा उत्पादक और दूसरा सबसे बड़ा निर्यातक बना है।भारत सरकार के नियमित प्रयासों के परिणामस्वरूप, चीनी के रिकॉर्ड उत्पादन के बावजूद, पिछले चीनी सीजन 2020-21 के लिए गन्ने के 99.5 प्रतिशत बकाया का भुगतान किया गया है और वर्तमान चीनी सीजन 2021-22 के लिए लगभग 85 प्रतिशत गन्ना बकाया का भुगतान किया गया है।

मंत्रालय ने कहा कि भारत सरकार घरेलू बाजार में चीनी की स्थिर कीमतों को बनाए रखने के लिए प्रतिबद्ध है और पिछले 12 महीनों में चीनी की कीमतें नियंत्रण में हैं। भारत में चीनी का थोक मूल्य 3,150-3,500 रुपये प्रति क्विंटल के बीच है, जबकि खुदरा कीमतें भी देश के विभिन्न हिस्सों में 36-44 रुपये के दायरे में हैं।

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