न्यूयॉर्क: गोदावरी बायोरिफाइनरीज के चेयरमैन समीर सोमैया के अनुसार, गैसोलीन में इथेनॉल सम्मिश्रण बढ़ाने की भारत सरकार की योजना दो से तीन वर्षों में देश के निर्यात योग्य चीनी अधिशेष को काफी कम कर देगी। सोमैया ने मंगलवार को Santander ISO Datagro New York Sugar & Ethanol सम्मेलन के दौरान बोलते हुए कहा कि, चीनी उद्योग केंद्र सरकार की उन नीतियों पर सक्रिय रूप से प्रतिक्रिया दे रहा है, और इसमें कोई संदेह नहीं है कि भारत में जैव ईंधन का उत्पादन बढ़ेगा। उन्होंने कहा कि, इसके परिणामस्वरूप चीनी का उत्पादन कम होने की संभावना है।
भारत 2020-21 में लगभग 6 मिलियन टन चीनी निर्यात करने की राह पर है। केंद्र सरकार ने हाल ही में गैसोलीन में इथेनॉल सम्मिश्रण के अपने लक्ष्यों को बदल दिया है, जिसका लक्ष्य पहले के 2030 के बजाय 2025 तक 20% सम्मिश्रण तक पहुँचने का है। सोमैया को जैव ईंधन के दो सबसे बड़े उत्पादकों जैसे अमेरिका और ब्राजील जैसे देशों से इथेनॉल के आयात की बड़ी संभावना नहीं दिखती है। उन्होंने कहा कि, सरकार का लक्ष्य स्थानीय उत्पादन को बढ़ाकर सम्मिश्रण को बढ़ावा देना है।
थाईलैंड के फोल शुगर कॉरपोरेशन के एक वरिष्ठ विश्लेषक ससाथोर्न संगुआंडीकुल ने सम्मेलन के दौरान कहा कि, देश का गन्ना उत्पादन 2020-21 में 66 मिलियन टन से 2021-22 में 85-90 मिलियन टन तक बढ़ने का अनुमान है। उन्होंने कहा की, थाईलैंड का अगले सीजन में चीनी निर्यात बढ़कर लगभग 5 मिलियन या 6 मिलियन टन हो जाएगा।