पुणे : चीनी मंडी
पूर्व केंद्रीय कृषि मंत्री और ‘वीएसएआई’ अध्यक्ष शरद पवार ने कहा कि, वैश्विक चीनी बाजार और खपत की स्थिति को देखते हुए राज्य में चीनी उत्पादन की लागत में वृद्धि हुई है। इस साल चीनी मिलों को 400 रुपये प्रति क्विंटल का नुकसान होगा ।
दुनियाभर में 7 मिलियन टन चीनी होगी अधिशेष
पवार ने ‘वीएसआई’ वार्षिक बैठक में दुनियाभर के चीनी उद्योग की व्यावहारिक समीक्षा प्रस्तुत की। पवार ने कहा कि, 2017-18 में दुनियाभर में 193 मिलियन टन चीनी उत्पादन हुआ। इनमें से 183 मिलियन टन चीनी का उपभोग किया गया है और 10 मिलियन टन चीनी अतिरिक्त हुई है। हालांकि, 2018-19 सत्र में, दुनिया में 192 मिलियन टन चीनी उत्पादन होगा। इनमें से 185 मिलियन टन का उपयोग किया जाएगा, तो दुनिया में और 7 मिलियन टन चीनी अधिशेष होगी ।
चीनी मिलों को सरकार के सहायता की जरूरत…
भारत में, 2017-18 में 322 मिलियन टन चीनी का उत्पादन हुआ था। इनमें से 256 लाख टन चीनी की बिक्री होती है और फिर 160 लाख टन चीनी बच जाती है। देश के खाद्य मंत्री ने कहा है कि, इस साल 315 लाख टन चीनी का उत्पादन हो जायेगा, तो अधिक चीनी उत्पादन का सीधा असर बाजार पर हो सकता है। इसलिए अभी भी चीनी की दर गिर रही हैं और अभी चीनी की कीमत 2900 रूपये प्रति क्विंटल है।
हालांकि, निकट अवधि में बाजार में सुधार नहीं होगा। इस साल चीनी मिलों को चीनी उत्पादन की लागत प्रति क्विंटल 3300 रूपये होगी और मिलों को प्रति क्विंटल 400 रुपये नुकसान होगा। पवार ने कहा कि, मिलों द्वारा किसानों को ‘एफआरपी’ भुगतान करना भी मुश्किल है। नतीजतन, गन्ना उत्पादक किसान नाराज हो सकते हैं। इसलिए, अब इस समस्या से बाहर निकलने के लिए सरकारी सहायता होनी चाहिए।
पवार ने कहा की, केंद्र सरकार ने चीनी को निर्यात सब्सिडी दी; लेकिन उत्तर प्रदेश, हरियाणा और पंजाब सरकार की तरह, महाराष्ट्र सरकार को एफआरपी की भी मदद करनी चाहिए। चूंकि चीनी उद्योग एक ऐसा व्यवसाय है जो राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में मदद करता है। सरकार को इस व्यवसाय को बनाए रखने में मदद करनी चाहिए जो कि किसानों के वित्तीय संसाधनों को बढ़ाएगी।
इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि के लिए सरकार द्वारा अच्छा प्रयास…
उन्होंने कहा की, इथेनॉल उत्पादन में वृद्धि करने के लिए चीनी उद्योग को केंद्र द्वारा घोषित वित्तीय सहायता की भूमिका अच्छी है । सरकार की तरफ से फैक्ट्री परियोजनाओं के आधुनिकीकरण के लिए 6139 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया है। इसलिए, अब निदेशक मंडल को पुरानी परियोजनाओं का आधुनिकीकरण करना चाहिए। यह सलाह देते हुए कि, यदि परियोजना नहीं बनाई गई है और केंद्र का हिस्सा बांटा गया है, तो इस पैसे का इस्तेमाल किसानों को अधिक पैसा देने के लिए किया जाना चाहिए।