पुणे: चीनी मंडी
बाढ और सुखे की मार से महाराष्ट्र में गन्ने की फसलों को काफी नुक्सान हुआ है। इस वक्त गन्ने की पर्याप्त मात्रा न होने के कारण चीनी मिलों को 2019-2020 चीनी सीजन में कठनिाईयों का सामना करना पड सकता है। इस साल गन्ने की कम उपलब्धता के कारण पेराई अवधि पर भी इसका असर पड़ने की संभवना है। पिछले वर्ष की तुलना में आगामी सीजन में चीनी के उत्पादन पर भी असर होने की संभावना है।
महाराष्ट्र के पुणे, सांगली, सतारा और कोल्हापुर जिलों में भारी बारिश ने कहर ढाया है और गन्ने की फसल को भारी नुकसान पहुंचाया। मराठवाडा में सूखे के कारण गन्ना क्षेत्र प्रभावित हुआ है, और गन्ने की संभावित कमी के कारण महाराष्ट्र में 2019-20 सीजन के लिए काफी चीनी मिलें गन्ने की पेराई नहीं कर सकते है। स्तिथी ऐसी बनी हुई है प्रभावित क्षेत्रो में कुछ मिलें पूरी क्षमता के साथ नही शुरू रह सकती हैं।
फसल बर्बाद होने से किसानों को भी बहुत बड़ा नुक्सान हुआ है, जिसके बाद अब वे अपने जीवन को वापस से पटरी पे लाने के लिए संघर्ष कर रहे हैं।
राज्य सहकारी चीनी मील संघ के अध्यक्ष जयप्रकाश दांडेगांवकर ने बताया कि सोलापुर, नगर और मराठवाड़ा में गन्ने की उपलब्धता पर भारी असर पड़ा है। सूखे के कारण, फसल बर्बाद हो गई है; जबकि चारे के लिए फसल का बड़े पैमाने पर इस्तेमाल किया गया था। भले ही मिलें बंद रहें, लेकिन बैंक के ब्याज, सुरक्षा खर्च आदि जैसे नियमित खर्च जारी रहेंगे।
हालही में महाराष्ट्र के मुख्यमंत्री फडणवीस ने कहा था कि बाढ़ से प्रभावित एक हेक्टेयर तक की फसलों पर लिया लोन या तो माफ कर दिया जाएगा, या फिर इसे सरकार भरेगी। उन्होंने यह भी कहा कि अगर ऐसी फसलों पर लोन नहीं लिया गया है तो सामान्य से तीन गुना मुआवजा किसानों को दिया जाएगा। जिसके बाद राज्य के चीनी मिलों ने मुख्यमंत्री देवेंद्र फडणवीस से आग्रह किया है कि हाल ही में आई बाढ़ में एक हेक्टेयर (2.47 एकड़) से दो हेक्टेयर के लिए ऋण माफी का विस्तार किया जाए।
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