नई दिल्ली : 2021-22 गन्ना पेराई सत्र चीनी उद्योग के लिए ऐतिहासिक रहने की संभवना है। इस साल घरेलू और अंतरराष्ट्रीय दोनों बाजारों में चीनी की कीमतों में तेजी के चलते चीनी उद्योग को सरकारी सब्सिडी के बिना अच्छे निर्यात की उम्मीद है। इंडियन एक्सप्रेस में प्रकाशित खबर के मुताबिक, नेशनल फेडरेशन ऑफ कोऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के प्रबंध निदेशक प्रकाश नाइकनवरे ने कहा कि, एथेनॉल पर जोर देने का केंद्र सरकार का निर्णय भी उद्योग के लिए गेम-चेंजर साबित हुआ है और यह किसी भी सरकारी मदद या सब्सिडी से स्वतंत्र रूप से काम करने में मदद करेगा। नाइकनवरे ने कहा कि, बुधवार को केंद्रीय मंत्रिमंडल ने तेल विपणन कंपनियों द्वारा एथेनॉल की खरीद मूल्य में भी वृद्धि की, जो एक स्वागत योग्य कदम है।
इंडियन एक्सप्रेस से बात करते हुए, नाइकनवरे ने कहा कि इस साल 34 लाख टन चीनी को एथेनॉल के उत्पादन के लिए डायवर्ट किए जाने की उम्मीद है, जबकि पिछले साल 22 लाख टन चीनी को डायवर्ट किया गया था। एथेनॉल के लिए भुगतान 15 दिनों के भीतर जारी किया जाएगा। उन्होंने कहा की, चीनी की कीमतें स्थिर नहीं हैं, जबकि एथेनॉल की कीमतें तय हैं। मिलों को इसे बेचने के लिए विशेष प्रयास नहीं करना पड़ता है और इसकी आखिरी बूंद तेल विपणन कंपनियां उठाती हैं।
वर्तमान में, देश की एथेनॉल उत्पादन क्षमता 456 करोड़ लीटर है, और उम्मीद है कि भारत इस सीजन के अंत तक ईंधन में 10 प्रतिशत सम्मिश्रण हासिल कर लेगा। नाइकनवरे ने कहा, एक बार जब हम 2024-25 तक 20 प्रतिशत सम्मिश्रण प्राप्त कर लेते हैं, तो 60 लाख टन चीनी को स्थायी रूप से एथेनॉल उत्पादन के लिए बदल दिया जाएगा। यह चीनी उद्योग के लिए एक महत्वपूर्ण मोड़ होगा। लेकिन कुछ सहकारी मिलें एथेनॉल उत्पादन शुरू करने के लिए वित्त जुटाने में विफल रही हैं। 2014 में, सरकार ने एथेनॉल उत्पादन इकाइयों की स्थापना के लिए एक ब्याज सबवेंशन योजना की घोषणा की थी। अब तक, बैंकों ने 52 मिलों को वित्त का वितरण किया है, जिनमें से 15 सहकारी मिलें हैं। नाइकनवरे ने कहा, हमने इस मामले को वित्त मंत्रालय के साथ-साथ नवगठित सहकारिता मंत्रालय के साथ भी उठाया है।
उन्होंने कहा कि, देश में 315 लाख टन चीनी का उत्पादन होगा, जिसमें इस सीजन में 34 लाख टन एथेनॉल उत्पादन के लिए डायवर्ट किया गया है। चीनी की कीमतों में तेजी के रुख को देखते हुए उद्योग को सीजन के दौरान 50 लाख टन चीनी निर्यात करने की उम्मीद है। नाइकनवरे ने कहा, हमने अफगानिस्तान और श्रीलंका के महत्वपूर्ण बाजारों को खो दिया है, लेकिन हमें नए बाजारों में प्रवेश की उम्मीद है।