छत्रपति संभाजीनगर: चीनी इकाई महासंघ के एक प्रतिनिधि ने मंगलवार को दावा किया कि देश में चीनी उद्योग को समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि केंद्र सरकार ने पांच साल से न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि नहीं की है। नेशनल फेडरेशन ऑफ को ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज लिमिटेड के निदेशक जयप्रकाश दांडेगावकर ने पीटीआई को बताया कि, केंद्र सरकार द्वारा तेजी से निर्णय न लिए जाने के कारण चीनी उद्योग में कार्यशील पूंजी में कम मार्जिन, कर्ज जैसी समस्याएं फिर से उत्पन्न हो सकती हैं।
उन्होंने कहा, सरकार ने गन्ने के एफआरपी (उचित एवं लाभकारी मूल्य) में तीन बार वृद्धि की है, लेकिन चीनी के एमएसपी में कोई वृद्धि नहीं की है। सभी राज्य महासंघ पांच साल से इसकी मांग कर रहे हैं, लेकिन सरकार इस बारे में सकारात्मक रूप से नहीं सोच रही है। उन्होंने दावा किया कि, ऐसी नीतियां चीनी उद्योग के लिए समस्या खड़ी कर रही हैं।दांडेगांवकर ने कहा, हम सिर्फ चीनी उत्पादन की लागत की मांग कर रहे हैं। हम उत्पादन लागत के रूप में कम से कम 41 रुपये (प्रति किलोग्राम) चाहते हैं। गन्ने की लागत में बढ़ोतरी की गई है, परिवहन लागत में वृद्धि हुई है और श्रम शुल्क में भी वृद्धि की गई है। लेकिन चीनी की कीमत वही है।