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केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय के सचिव की नेतृत्व में 15 फरवरी को बैठक का आयोजन, बैंकिंग मुद्दों का हल निकाला जायेगा…
नई दिल्ली : चीनी मंडी
आर्थिक तंगी से परेशान चीनी मिलों को जल्द ही राहत मिलने की सम्भावना है।15 फरवरी को केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय के सचिव की नेतृत्व में बैठक का आयोजन किया गया है। चीनी अधिशेष की समस्या से निपटने के लिए सरकार हर मुमकिन कोशिश कर रही है, लेकिन फिर भी वैश्विक बाजार में कीमतों की गिरावट के कारण मिलें अपना तय कोटा भी निर्यात नही कर पा रही है। इससे चीनी मिलें किसानों का भुगतान समय पर करने में नाकाम हो रही है, इससे किसानों में आक्रोश बढ़ रहा है। गन्ना बकाया भुगतान में देरी करनेवाली चीनी मिलों पर सरकार द्वारा कड़ी कारवाई की जा रही है। कारवाई होने के बाद भी किसानों को समय पर पैसे मिलने की कोई भी गुंजाईश नजर नही आ रही है।
चीनी उद्योग को विभिन्न उपायों की पेशकश करके विदेशी बिक्री के लिए केंद्र सरकार के दबाव के बावजूद रुपये के मजबूत होने और वैश्विक कीमतों में गिरावट के कारण भारत का चीनी निर्यात लक्ष्य से बहूत कम लग रहा है। पिछले साल के 10000 करोड़ की तुलना में पहले से ही लगभग 20000 करोड़ रूपये तक पहुँच चुके गन्ना बकाया को देखकर केंद्र सरकार निराश दिख रही है। आम चुनाव में ‘गन्ना बकाया’ मुद्दा अहम होने की संभावना बनी हुई है।
इस समस्या से रास्ता निकालने के लिए केन्द्रीय खाद्य मंत्रालय ने बैठक का आयोजन किया है। कृषि भवन में होनेवाली इस बैठक में चीनी मिलों को बैंक द्वारा 100 प्रतिशत ऋण, कॅश क्रेडिट लिमिट, निजी चीनी मिलों की शॉर्ट मार्जिन की समस्या पर चर्चा हुई। इस बैठक में चीनी उद्योग के प्रधान सचिव, उत्तर प्रदेश और महाराष्ट्र के चीनी आयुक्त, महाराष्ट्र सहकारी मंत्रालय के प्रधान सचिव, स्टेट बैंक ऑफ़ इंडिया के चेयरमैन रजनीश कुमार, पंजाब नॅशनल बैंक के एमडी सुनील मेहता, बैंक ऑफ़ बरोडा के एमडी पी.एस. जयकुमार, बैंक ओद इंडिया के एमडी दीन बंधू महापात्रा, केनरा बैंक के चेयरमैन टी. एन. मनोहरन, इंडियन बैंक्स असोसिएशन के अतुल गौतम, ‘इस्मा’ के चेयरमैन शिरकत करनेवाले है।
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