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लखनऊ, 27 अप्रैल: लोकसभा चुनावों के सम्पूर्ण दौर में उत्तर प्रदेश में गन्ना किसान और चीनी मिलों का मुद्दा लगातार चर्चा का विषय बना रहा है। जिसमें भाजपा सरकार ने चीनी मिलों में त्तकालीन सरकार पर भष्टाचार के आरोप लगातार लगाती रही है वहीं विपक्ष गन्ना किसानों के बकाया के भुगतान को लेकर सरकार पर हमलावर रहा है। लेकिन इन सबके बीच जो चौंकाने वाली खबर समाने आयी है वो खबर है सीबीआई यानि केन्द्रीय अन्वेषण ब्यूरो द्वारा द्वारा 2011-12 में पूर्व मुख्यमंत्री मायावती के कार्यकाल में उत्तर प्रदेश की 21 सरकारी चीनी मिलों की बिक्री में कथित अनिमितताओं की जांच के लिए एफआईआर दर्ज होना।
त्तकालीन सरकार पर आरोप है कि उसने अपने फायदे के लिए चीनी मिलों को बाजार से भी कम ओनेपोने दामों पर बेचा। तत्कालीन सरकार की इस वजह से गया सूबे की सरकार के राजकोष को एक हजार एक सौ उन्नासी करोड़ रुपयों का नुकसान होने का अनुमान लगाया गया है।। इसी को आधार बनाकर सीबीआई ने इन अनियमितताओं से जुडे घोटाले की जांच के लिए 6 और एफआईआर दर्ज की है।
यूपी की सरकार ने बीते साल इस मामले की केन्द्रीय एजेंसी से जांच कराए जाने की चिट्टी लिखी की थी। इसमें आरोप लगाया गया था कि सूबे के हरदोई, रामकोला, छितौनी,बरेली, लक्ष्मीगंज और बाराबंकी में 7 बंद पडी चीनी मिलों की खरीददारी में बडे स्तर पर धांधली हुई है जिसकी जांच जरूरी है। इस मामले मे सीबीआई ने कुछ लोगों के खिलाफ मामला दर्ज कर लिया है जो इसमें संलिप्त है।