औरंगाबाद : चीनी मंडी
चीनी उद्योग भारत की अर्थव्यवस्था में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाता है, और यह उद्योग किसानों, श्रमिकों और ग्रामीण अर्थव्यवस्था की भी रीढ़ मानी जाती है। लेकिन, कोरोना वायरस महामारी के कारण यह उद्योग संकट में फंसा है। कोरोना महामारी के तेजी से फैलने से चीनी पेराई दिक्कतों के बिच खत्म हो रहा है। अब आगामी सीजन के लिए मिलों की तकनीकी मरम्मत जरूरी है, लेकिन लॉकडाउन के कारण स्पेअर पार्ट्स, टेकनीशियन, कुशल श्रमिक नही मिल रहे है।इसलिए तकनीकी मरम्मत को भी ‘ब्रेक’ लगा है। चीनी मिलों के पेराई सत्र की समाप्ति के बाद मई में तकनीकी मरम्मत का समय होता है। इसमें बॉयलर रखरखाव, मशीनरी काम शामिल होते है।
बॉयलर निरिक्षण, वजन कांटों की मरम्मत, फ्लो मीटर कैलिब्रेशन, विद्युत उपकरण जांच आदि काम को हर साल सरकारी नियमों के अनुसार करना अनिवार्य होता है। कोरोना वायरस के कारण लागू लॉकडाउन के चलते, मरम्मत के लिए जरूरी सामग्री उपलब्ध आसानी से नहीं हो पा रहा है। यह भी आशंका है की, सामग्री देर से मिलने पर मरम्मत समय पर पूरी नही होगी। इसके अलावा इलेक्ट्रिकल मोटर्स- पैनल बोर्ड, पावर टरबाइन आदि मशीनरी की मरम्मत और रखरखाव करनेवाले टेकनीशियन, श्रमिक अन्य जिले और राज्यों से है। लॉकडाउन के कारण ये लोग मरम्मत के लिए समय पर पहुँच नही सकते।
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