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नई दिल्ली: बढ़ते गन्ना बकाया को मद्देनजर रखते हुए सरकार ने चीनी मिलों की मदद करने के लिए विभिन्न उपायों की शुरुआत की थी जिसमे सॉफ्ट लोन योजना भी शामिल था। लेकिन, महाराष्ट्र में मिलर्स को इस योजना का लाभ उठाने में मुश्किल हो रही है।
महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मिल महासंघ ने 17 मई, 2019 को खाद्य और सार्वजनिक वितरण विभाग (डीएफपीडी) को एक पत्र लिखा है जिसमे उन्होंने 31 जुलाई 2019 तक, दो महीने, के लिए सॉफ्ट लोन के संवितरण के लिए विस्तार का अनुरोध किया।
महासंघ के निदेशक संजय खताल ने कहा कि 94 चीनी मिलों ने सॉफ्ट लोन का लाभ उठाने के लिए महाराष्ट्र राज्य सहकारी बैंक (MSCB) और जिला सहकारी बैंकों (DCBs) को अपना सॉफ्ट लोन प्रस्ताव प्रस्तुत किया था लेकिन निम्नलिखित कारणों से मिलें लोन प्राप्त करने में असमर्थ हैं:
१. अलग-अलग बैंकों द्वारा सेक्टोरल एक्सपोजर लिमिट (40 फीसदी लैंडेबल रिसोर्सेज) के साथ-साथ यूनिट एक्सपोजर लिमिट (50 फीसदी कैपिटल फंड) का निकास।
२. व्यक्तिगत सहकारी चीनी मिल के उधार सीमा का निकास। इसे राज्य सरकार द्वारा अतिरिक्त उधार की अनुमति देकर निपटाया जाना है।
३. जिन चीनी मिलों में एनपीए, नेगेटिव एनडीआर और नेगेटिव नेट वर्थ है, उन्हें राज्य सरकार की डिफॉल्ट गारंटी के बिना लोन नहीं मिल पा रहा है।
४. नकारात्मक एनडीआर के मामले में बैंकों को नाबार्ड से मंजूरी लेने की आवश्यकता है।
महाराष्ट्र राज्य सहकारी चीनी मिल महासंघ के मुताबिक नाबार्ड के निर्देशों के अनुसार, MSCB और DCBs ने व्यक्तिगत रूप से यूनिट और सेक्टोरल एक्सपोजर लिमिट बढ़ाने के लिए नाबार्ड को प्रस्ताव प्रस्तुत किया है।
महासंघ ने नाबार्ड के अध्यक्ष से अनुरोध किया है कि नीतिगत हस्तक्षेप के रूप में उपयुक्त उपचारात्मक उपायों के लिए समस्याओं की समीक्षा करें।