चीनी मिलें 150 रुपये की अतिरिक्त लागत का भुगतान नहीं कर रही : कुरुबुर शांताकुमार

मैसूर : कर्नाटक के किसान संगठनों के महासंघ और राज्य गन्ना उत्पादक संघ के अध्यक्ष कुरुबुरशांताकुमार ने कहा कि, गन्ना किसानों के 39 दिनों के विरोध प्रदर्शन के बाद इस संबंध में राज्य सरकार के आदेश के बावजूद चीनी मिलें एक टन गन्ने पर 150 रुपये की अतिरिक्त लागत का भुगतान नहीं कर रही हैं।उन्होंने कहा कि, अगर सरकार मिलों को भुगतान करने के लिए नहीं कह सकती है, तो सरकार को किसानों को भुगतान करना चाहिए।

किसान नेता कुरुबुर शांताकुमार ने राजनीतिक दलों पर किसानों और उनकी पीड़ाओं के बारे में घड़ियाली आंसू बहाने और किसान संगठनों को विभाजित करने की कोशिश करने का आरोप लगाया।उन्होंने कहा की, चुनाव नजदीक आने के साथ, राजनीतिक दल वोट बैंक की राजनीति में लगे हुए हैं, गंभीर सूखे के बीच किसानों की पीड़ा को आसानी से भूल रहे हैं, और कृषि ऋण माफी का मुद्दा नहीं उठा रहे हैं।उन्होंने सवाल किया की, जब तेलंगाना सरकार कृषि ऋण माफ कर सकती है और केंद्र सरकार उद्योगपतियों के भारी ऋण माफ करने पर विचार कर सकता है, तो राज्य के किसानों का ऋण क्यों माफ नहीं किया जा सकता?’।

यह दावा करते हुए कि बैंकों द्वारा किसानों को ऋण वसूली के लिए नोटिस दिए जा रहे हैं, उन्होंने कहा कि सूखे के मद्देनजर किसान आजीविका की तलाश में पलायन कर रहे हैं। उन्होंने ऋण नीतियों में संशोधन की मांग करते हुए कहा कि किसानों को शून्य ब्याज दर पर फसल ऋण मिलना चाहिए। शांताकुमार ने भूमि सुधार संशोधन अधिनियम और एपीएमसी संशोधन अधिनियम को रद्द करने की मांग की, जैसा कि “राज्य सरकार ने सत्ता में आने के दौरान किसानों से वादा किया था”।

इस बैठक के बाद किसानों ने मार्च निकाला और उपायुक्त के.वी. राजेंद्र से मुलाकात की। उन्होंने किसानों को पर्याप्त मुआवजा देने की मांग की, जिनकी जमीन पर 220 केवी बिजली के खंभे और केबल लगाए जा रहे हैं।डीसी के माध्यम से मुख्यमंत्री को दिए ज्ञापन में उन्होंने कृषि क्षेत्र के लिए अलग आवंटन और राज्य बजट में किसान केंद्रित परियोजनाओं की घोषणा की मांग की।शांताकुमार ने घोषणा की कि, बजट से पहले किसानों की इच्छा सूची 6 फरवरी को बेंगलुरु में मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को प्रस्तुत की जाएगी।

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