गन्ने की खेती में जल संरक्षण की पद्दतियो को अपनाने में चीनी मिलें निभा सकती हैं महत्वपूर्ण भूमिका: प्रधानमंत्री

नई दिल्ली, 30 दिसम्बर: प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने देश के गन्ना क़िसानों से खेती जल संरक्षण तकनीकों को अपनाने की अपील करते हुए कहा है कि जलवायु परिवर्तन के साथ साथ गन्ने की खेती में जल के अनुचित इस्तेमाल की वजह से धरती का जल स्तर नीचे जा रहा है। इसे रोकने के लिए चीनी मिलें बड़ी भूमिका निभा सकती है। गुजरात में इसका जीता जागता उदाहरण आपके सामने है जहां पर चीनी मिलों की पहल के कारण गन्ना किसान गन्ने की फसल में जल संरक्षण को अपनाने की परंपरा चला रहे है, जिसे अपनाकर आज गन्ना किसान न केवल खुश है बल्कि गन्ने के उत्पादन में बढ़ोत्तरी होने के साथ चीनी में शर्करा की मात्रा में भी इज़ाफ़ा हो रहा है।

प्रधानमंत्री ने कहा कि जब वो गुजरात के मुख्यमंत्री थे तब उन्होंने जल संरक्षण की पहल करते हुए किसानों को गन्ने की खेती में जल संरक्षण की तकनीकों को अपनाने की सलाह दी थी। योजना के तहत मैंने सभी चीनी मिलों के प्रतिनिधियों को बुलाकर उनके साथ बैठक की और निर्देश दिया कि आप गन्ना किसानों से कहें कि वो ड्रिप और स्प्रिंकलर पद्दतियों को खेती में अपनाएँ। जो किसान इन पद्दतियों को नहीं अपनाएँगे उनका गन्ना कोई भी चीनी मिल नहीं लेगी। शुरु में तो चीनी मिलों ने इसमें असमर्थता जताई लेकिन बाद में इसे सख़्ती से लागू किया।

कुछ गन्ना किसानों ने इसका विरोध किया। जब चीनी मिलों ने किसानों को विश्वास में लेकर इसके फ़ायदे समझाये तो अगले सत्र से धीरे धीरे किसानों ने प्रायोगिक तौर पर फ़व्वारा और टपक सिंचाई पद्दतियों को अमल में लाना शुरु किया। सरकार ने भी किसानों को सब्सिडी दी। थोड़े समय बाद ही गन्ना किसानों को इसके परिणाम दिखने लगे। पहले की तुलना में 70-80 प्रतिशत जल की बचत होने लगी और मात्र 20-30 प्रतिशत जल में ही गन्ने की बेहतरीन खेती होने लगी। मेहनत भी कम हो गयी। गन्ने के खेतों में गन्ने की लम्बाई भी पहले से ज़्यादा बढ़ी हुई दिखायी दी, तो गन्ने की दो गाँठ के बीच की दूरी में भी अंतर देखने को मिला। परिणाम ये निकला कि पहले की तुलना में गन्ने में शर्करा का प्रतिशत भी बढ़ा हुआ देखने को मिला।

गन्ने के खेतों में आए इस प्रत्याशित बदलाव को लेकर गन्ना वैज्ञानिकों ने भी अपना पक्ष रखा और कहा कि गन्ने की खेती में संतुलित जल का उपयोग करने से गन्ने की लम्बाई न केवल बढ़ी है बल्कि शर्करा का प्रतिशत भी बढ़ा है। इस दौरान जल की बचत का आँकलन किया गया को पता चला कि तक़रीबन 70-80 फ़ीसदी जल को इस तकनीक से बचाने में मदद मिली है।

प्रधानमंत्री ने कहा आज पूरे गुजरात में गन्ना उत्पादक किसान ड्रिप और स्प्रिंकलर तकनीक से खेती कर रहे है। परिणाम आपके सामने है।
देश में भूजल स्तर की सबसे कम गिरावट की खबर गुजरात से ही आ रही है। आज ज़रूरत है कि देश के अन्य राज्य भी इस मॉडल को अपनाएँ और जल संरक्षण अभियान में अपनी भागीदारी निभाएँ। इसके लिए चीनी मिलों को आगे आना होगा और जल संरक्षण के लिए सामूहिक निर्णय लेना होगा।

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