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कोल्हापुर : चीनी मंडी
अधिशेष चीनी की समस्या से निपटने के लिए केंद्र सरकार ने चीनी निर्यात कोटा तय किया है। हर एक चीनी मिल को सरकार की तरफ से हर महिने के लिए चीनी निर्यात कोटा आवंटित किया जाता है। तय कोटा निर्यात करनेवाली मिलों को सरकार की तरफ से 139 रूपये प्रति टन सब्सिडी मिलनेवाली है। किसानों का लम्बे समय से एफआरपी भुगतान करने के लिए मिलों का पूरा दारोमदार अब इसी सब्सिडी पर है।
चीनी आयुक्त कार्यालय द्वारा किसानों के 1320 करोड़ के एफआरपी भुगतान में देरी के चलते 68 चीनी मिलों पर कार्रवाई चल रही है। बकायेदार मिलों को जब्ती की नोटिस भेजी गई है। बकाया एफआरपी समेत 15 प्रतिशत ब्याज़ वसूलने के लिए मिलों की चीनी, बगास और अन्य संपती जब्त करके उसकी नीलामी करने की चेतावनी नोटिस द्वारा दी गई है।
अधिशेष चीनी की समस्या गंभीर…
2018 – 2019 चीनी मौसम में देश में लगभग 320 लाख टन चीनी का उत्पादन हुआ है, 2017 – 2018 सीझन का लगभग 107 लाख टन स्टॉक पहले से ही अधिशेष था। देश में अब कुल 427 लाख टन चीनी का भारी स्टॉक बना हुआ है। दूसरी तरफ घरेलू चीनी की मांग केवल 260 लाख टन है, और केंद्र सरकार ने 50 लाख टन चीनी निर्यात का लक्ष्य रखा है। अगर चीनी निर्यात का लक्ष्य पूरा हो भी जाता है, तो फिर भी अधिशेष चीनी की समस्या से छुटकारा मिलना लगभग लगभग नामुमकिन है। जिससे चीनी उद्योग को अगले सीझन में भी राहत मिलने के काफ़ी कम आसार लग रहे है।