लखनऊ : चीनी मंडी
उत्तर प्रदेश में पेराई सत्र 2019-2020 के लिए गन्ने का राज्य समर्थित मूल्य (SAP) घोसित होने के बाद कहीं खुशी तो कहीं गम का नजारा है। अपरिवर्तित गन्ना मूल्य रखने का फैसला चीनी उद्योग के लिए एक बड़ी राहत के रूप में आया है, वही दूसरी ओर गन्ना किसानों को इससे बड़ा झटका लगा है।
उत्तर प्रदेश में किसानों को गन्ना मूल्य लेकर कुछ खास राहत नहीं मिली है। शनिवार को चालू पेराई सत्र 2019-20 के लिये उत्तर प्रदेश सरकार ने गन्ने का राज्य परामर्शी मूल्य घोषित कर दिया। आपको बता दे, गन्ने की अगैती प्रजातियों के लिए 325 रूपये , सामान्य प्रजाति के लिए 315 और अनुपयुक्त प्रजाति के लिए 310 रूपये प्रति कुंतल का मूल्य तय किया गया है।
यह लगातार दूसरा पेराई सत्र है जब प्रदेश सरकार ने गन्ने के राज्य परामर्शी मूल्य में कोई खास बढ़ोत्तरी नहीं की है। गन्ना किसानों द्वारा मांग की जा रही थी, गन्ना मूल्य 400 रूपये प्रति कुंतल की जाए, जिसको लेकर काफी आंदोलन भी किये गए थे।
वही सरकार का फैसला राज्य में चीनी उद्योग के लिए एक बड़ी राहत लाया है। चीनी मिलें दावा करती है की उनकी चीनी उत्पादन में लागत ज्यादा है, जब की चीनी बिक्री मूल्य (MSP) केवल 3100 रूपये प्रति कुंतल है। और वे पहले से चीनी अधिशेष और गन्ना बकाया समस्या से जूझ रहे है और अगर ऐसे हालत में गन्ना मूल्य बढ़ाया जाता है तो उनके लिए मिल चलाना बहुत मुश्किल होगा।
वही गन्ना किसानों का कहना है की पिछले दो साल से गन्ना मूल्य नहीं बढ़ाने से उनके लिए गन्ने की खेती करना मुश्किल हो गया है। राष्ट्रीय किसान मजदूर संगठन के राष्ट्रीय अध्यक्ष सरदार वीएम सिंह के अनुसार गन्ने की खेती पर आज प्रति कुंतल कुल 290 रुपए की लागत आ रही है। इसके अलावा इनकी कटाई से लेकर मिलों तक पहुंचाने के खर्च किसानों के लिए बोझ बन गया है। इसलिए इसके मूल्य में इजाफा करना जरुरी है।
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