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नई दिल्ली: देश में चीनी मिलें अधिशेष चीनी उत्पादन से जूझ रही है और अब नए आकड़ो के अनुसार गन्ना किसानों का चीनी मिलों पर 18 जून तक 18,958 करोड़ रुपये बकाया है।
उत्तर प्रदेश में चीनी मिलों पर अधिकतम गन्ना बकाया है, जो 11,082 करोड़ रुपये है, इसके बाद कर्नाटक (1,704 करोड़ रुपये) और महाराष्ट्र (1,338 करोड़ रुपये) हैं।
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, पंजाब में चीनी मिलों को गन्ना किसानों को 989 करोड़ रुपये का भुगतान करना बाकी है। गुजरात और बिहार के मिलरों पर गन्ना किसानों का क्रमश: 965 करोड़ रुपये और 923 करोड़ रुपये बकाया है।
खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने राज्यसभा में एक लिखित जवाब में कहा, “चीनी मिलों द्वारा गन्ना उगाने वाले किसानों को गन्ना मूल्य का भुगतान एक सतत प्रक्रिया है। हालांकि, पिछले चीनी सीजन के दौरान, अधिशेष चीनी उत्पादन के कारण चीनी की कीमतों में गिरावट बनी रही, जिससे चीनी मिलों की तरलता पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ा, और किसानों का गन्ना बकाया बढ़ता ही चला गया।”
सरकार ने चीनी मिलों को गन्ना बकाया में मदद करने के लिए काफी सारे योजना पेश किये जैसे की सॉफ्ट लोन स्कीम, न्यूनतम बिक्री मूल्य में बढ़ोतरी, लेकिन फिर भी चीनी मिलें गन्ना बकाया चुकाने में समर्थ नहीं रहे। चीनी मिलों की दलील है क़ी, सरप्लस चीनी और उसकी कीमतों में गिरावट के कारण वे बकाया चुकाने में विफल रहे है।
उद्योग निकाय, ISMA, ने अनुमान लगाया है कि चालू वर्ष में भारत में चीनी का उत्पादन 33 MMT, पिछले वर्ष की तुलना में लगभग 5,00,000 टन अधिक होने का अनुमान है।