मुंबई : चीनी मंडी
ब्राजील, यूरोप और थाईलैंड द्वारा गन्ना उत्पादन अनुमानों को कम करने के साथ-साथ, रुपये के अवमूल्यन के चलते महाराष्ट्र की चीनी मिलों ने मार्च तक 15 लाख टन चीनी निर्यात करने के प्रयासों को बढ़ा दिया है। केंद्र सरकार ने चीनी निर्यात की साप्ताहिक समीक्षा करने का भी फैसला किया है, क्योंकि देश के निर्यातकों से अगले दो वर्षों में 9 मिलियन टन से अधिक चीनी निर्यात करने की उम्मीद है। सरकार ने 2018-19 में 50 लाख टन चीनी निर्यात करने और प्रोत्साहन बढ़ाने के लिए प्रति टन 138 रूपये सब्सिडी के साथ हर एक मिल को कोटा आवंटित किया है । सरकार चीनी निर्यात के लिए परिवहन सब्सिडी भी प्रदान करेगी। इस प्रकार चीनी के निर्यात के लिए उपलब्ध कुल सब्सिडी 11 रूपये प्रति किलोग्राम तक होगी।
अभी सभी अंतरराष्ट्रीय बाजार भारत के निर्यात के लिए खुले
शनिवार को मुंबई में चीनी मिलें, व्यापारी और केंद्र सरकार के अधिकारियों की एक बैठक हुई । तीन घंटों तक चली इस बैठक में पूर्व केन्द्रीय कृषि मंत्री शरद पवार ने, सरकार द्वारा चीनी उद्योग को दिए गये निर्यात प्रोत्साहन के सुनहरे अवसर का लाभ उठाने की अपील की। नेशनल फेडरेशन ऑफ को-ऑपरेटिव शुगर फैक्ट्रीज के मैनेजिंग डायरेक्टर प्रकाश नाईकनवरे ने कहा, चीनी मिलों द्वारा बड़ी संख्या में निर्यात अनुबंधों पर हस्ताक्षर किए जा रहे हैं। नाईकनवरे ने कहा की, भारत के लिए चीनी निर्यात करने का एक सुनहरा मौका है क्योंकि ब्राजील और थाईलैंड ने अपने उत्पादन अनुमान को काफी हद तक कम कर दिया है, जबकि ऑस्ट्रेलिया केवल मार्च में निर्यात बाजार में प्रवेश करेगा। सभी अंतर्राष्ट्रीय बाजार भारत के लिए खुले है, हम 2019 -20 में 40 लाख टन चीनी निर्यात करेंगे।
भारत 2005-06 के निर्यात रिकॉर्ड को पार करेगा…
यह निर्णय लिया गया कि, एक सरकारी प्रतिनिधिमंडल थाईलैंड इंडोनेशिया मलेशिया ब्राजील और चीन का दौरा करेगा और ब्राजील और थाईलैंड द्वारा परंपरागत रूप से पेश किए जाने वाले बाजारों को हासिल करने का प्रयास करेगा। उच्च स्तरीय अधिकारी की एक समिति निर्यात की समीक्षा के लिए प्रत्येक शुक्रवार को 4 बजे एक समीक्षा बैठक आयोजित करेगी । उद्योग के हितधारकों को भरोसा है कि, भारत 2005-06 में निर्यात किए गए 29 लाख टन चीनी के पहले के रिकॉर्ड को पार कर जाएगा।