एथेनॉल के उत्पादन की ओर चीनी मिलों का झुकाव

लखनऊ: चीनी मिलों का झुकाव अब एथेनॉल के उत्पादन की ओर है। एथेनॉल एक हरित इंधन है जिसे पेट्रोल में मिलाने से न केवल वाहनों के इंजन की उम्र बढ़ाता है बल्कि हवाओं में सल्फर औऱ कार्बन का खतरा भी घटता है। साथ ही विदेशी मुद्रा में बचत होगी। केंद्र सरकार ने राज्यों को 15 प्रतिशत तक एथेनॉल के मिश्रण की अनुमति दी है लेकिन केवल उत्तर प्रदेश में ही इसका मिश्रण केवल 9.5 प्रतिशत तक किया जा रहा है।

दरअसल चीनी मिलें एथेनॉल के इस गुण को अब समझने लगी हैं। इसलिए उत्तर प्रदेश की 121 मिलों में से 58 ने एथेनॉल का उत्पादन करना शुरु कर दिया है। दूसरी चीनी मिलों का भी इस ओर झुकाव है और वे इसकी तैयारी कर रही हैं।

देश में चीनी अधिशेष से निपटने के लिए सरकार ने मिलों को चीनी एथेनॉल में परिवर्तित करने की अनुमति दी है। हालही में केंद्र सरकार ने बी- हैवी मोलासेस वाले एथेनॉल की कीमतें 52.43 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 54.27 रुपये प्रति लीटर कर दी हैं और वही दूसरी ओर सी-हैवी मोलासेस वाले एथेनॉल की कीमत 43.46 रुपये प्रति लीटर से बढ़ाकर 43.75 रुपये लीटर कर दी हैं। गन्ने के रस, चीनी, चीनी सीरप से सीधे बनने वाले एथेनॉल का भाव 59.48 रुपये प्रति लीटर कर दिया गया है।

एथेनॉल की दाम में वृद्धि से चीनी मिलों को बहुत बड़ी राहत मिलेगी। एथेनॉल उत्पादन से चीनी अधिशेष को कम करने में भी मदद मिलेगी। केंद्र सरकार का 2030 तक पेट्रोल के साथ 20 प्रतिशत एथेनॉल मिश्रित करने का लक्ष्य है। विशेषज्ञों का मानना ​​है कि एथेनॉल का उत्पादन चीनी मिलों को वित्तीय स्थिति में सुधार करने और गन्ना बकाया को दूर करने में मदद करेगा

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