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कोल्हापुर : चीनी मंडी
इस वर्ष उत्तर प्रदेश में रिकॉर्ड चीनी के उत्पादन के कारण, युपी की कई मिलें महाराष्ट्र की मिलों की तुलना में कम दाम पर चीनी बेच रही है। युपी की मिलों ने कोल्हापुर की चीनी मिलों के उत्तर भारत के बाजार पर कब्जा जमा लिया है। जिसके परिणामस्वरूप, कोल्हापुर की चीनी मिलों को पाँच महीने में 1350 करोड़ रुपये का बाजार से हाथ धोना पड़ा है। पहले ही अधिशेष चीनी और ठप बिक्री से परेशान कोल्हापुर के चीनी मिलों को अब बिक्री के लिए नये बाजार और अवसर तलाशने होगें।
उत्तर भारत के सात राज्यों में कोल्हापुर से प्रतिदिन बिकने वाली 26,500 क्विंटल चीनी पर पांच महीने से ब्रेक लगा है। इस चीनी को बेचकर जिले की 22 मिलों को हर दिन 9 करोड़ रुपये मिल रहे थे। कोल्हापुर के चीनी मिलों द्वारा उत्तर भारत के सात राज्यों में, सालाना कम से कम छह से आठ लाख टन चीनी बेची जाती थी। वहाँ तक चीनी परिवहन में प्रति टन औसतन तीन रुपये खर्च होते हैं, दूसरी तरफ पड़ोसी राज्य उत्तर प्रदेश को उत्तर भारत में चीनी भेजने के लिए 50 पैसे से एक रुपये प्रति किलोग्राम का खर्च आता है। परिणामस्वरूप, युपी की चीनी महाराष्ट्र की तुलना में सस्ती पड़ती है। राज्य में 120 लाख टन चीनी शेष है, इसमें से 60 से 70 लाख टन चीनी उत्तर भारत के उत्तर-पूर्व क्षेत्र में पिछले सात वर्षों में बेची गई थी। कोल्हापुर से, उत्तर भारत में रोजाना रेलवे की औसतन 40 वेगन चीनी जाती थी। कोल्हापुर से उत्तर भारत चीनी के परिवहन से रेलवे को प्रतिदिन 50 लाख मिलते हैं। अब यह सब चक्र रुक सा गया है।