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कोल्हापुर : चीनी मंडी
सूखे के कारण महाराष्ट्र में गन्ने के उत्पादन में गिरावट की संभावना है। तुलनात्मक रूप से, यह अनुमान है कि, कोल्हापुर में गन्ने का उत्पादन अच्छा होगा। हालांकि, पेराई सत्र शुरू करने के लिए हर एक मिल को कम से कम 40 से 50 करोड़ रुपये की आवश्यकता होती है। जिले के 22 मिलों के लिए अगर 1,000 करोड़ रुपये का प्रावधान नहीं किया गया, तो सीझन की शुरुवात में मिलों के सामने गंभीर आर्थिक समस्या पैदा हो सकती है।
जिले में पिछले साल कुल 133.52 लाख मीट्रिक टन गन्ने की पेराई हुई थी। यदि इस वर्ष औसत 20 प्रतिशत की कमी हुई है, तो कम से कम 115 लाख टन तक गन्ने का उत्पादन होने का अनुमान लगाया जा रहा है। कृषि विभाग के आंकड़ों के अनुसार, यह जिले में 4 लाख 76 हजार 600 हेक्टेयर क्षेत्र में खेती करने के लिए उपयुक्त है। खरीफ मौसम में कपास की खेती कुल 3 लाख 93 हजार 869 हेक्टेयर क्षेत्र में की जाती है और उसमे तकरीबन 99, 600 हेक्टेयर पर गन्ने की खेती की जाती है।
कोल्हापुर में 16 से 35 डिग्री तक औसत तापमान, 1700 मिमी की औसत वार्षिक वर्षा, राधानगरी, तुलसी, वारणा, दुधगंगा, चार प्रमुख बांध, आठ मध्यम और 53 लघु सिंचाई, 60 हजार बोअरवेल, 1850 कुएं, 939 बोअरवेल योजनाएं है। कृषि के लिए 50 टीएमसी पानी उपलब्ध था। इस साल राज्य में सूखे के बावजूद जिले में फसल की पैदावार पर कोई खास असर नहीं पड़ा है। पिछले साल की तुलना में कुछ हद तक गन्ने का रकबा घटा है, लेकिन अनुमान यह लगाया जा रहा है की, कम बारिश के बावजूद गन्ने की उपज औसत रहेगी।