पुणे : रेणुका शुगर्स के अध्यक्ष रवि गुप्ता ने कहा की, कमोडिटी उद्योग के मार्जिन में सुधार करना काफी मुश्किल होता है, लेकिन फिर भी हर इंडस्ट्री में मार्जिन में सुधार करने के कई मौका होते है। उन्होंने कहा, चीनी उद्योग में भी मार्जिन में सुधार करने के लिए रिफाइंड चीनी का उत्पादन बढ़ाना चाहिए। गुप्ता ने कहा, देश में रिफाइंड शुगर का उत्पादन बढ़ रहा है, अभी यह 25 लाख टन के करीब थी, लेकिन यह बढकर इस साल 45 लाख टन होने का अनुमान है। विदेशी बाजारों में भी रिफाइंड चीनी का मांग बढ रही है और भारतीय चीनी उद्योग को इसका फायदा उठाना चाहिए।
उन्होंने आगे कहा की, चीनी निर्यात को हमें अब रूटीन का बिजनेस बनाना पड़ेगा, और इसके लिए मिलों को तैयार होना पडेगा। इसका मतलब है की चीनी मिलों को बाजारों की पूरी जानकारी होनी चाहिए की कब चीनी बेचनी है और कब नही बेचनी है। चीनी मिलों को वैश्विक बाजार के बदलाव समझने होंगे, ताकि निर्यात से फायदा उठाया जा सके। उन्होंने बताया कि, कई सहकारी मिलें चीनी सीधे एक्स्पोटर्स को नही बेच पाती, इससे भी उनके मार्जिन पर असर पडता है। साथ ही गुप्ता ने कहा, ब्रांडेड चीनी की डिमांड देश में भी लगातार बढ़ रही है, इसलिए चीनी मिलों को अपना खुद का ब्रांड बनाने की भी जरूरत है। ब्रांडेड चीनी माकेट को हमे छोड़ना नहीं चाहिए। जो भी मिलें इसमें आ सकती है उसको आना चाहिए, कुछ मिलें अपना ब्रांड बना सकती है। लेकिन ब्रांड बनाने के लिए समय, धैर्य रखने और इन्वेस्टमेंट की जरुरत है। अगर आप ब्रांड नहीं भी बना सकते तो बड़े ब्रांड्स के customized manufacturing पर काम सकते है और Supply to institution के साथ काम करके भी रेवेन्यू को बढ़ाया जा सकता है।
वसंतदादा शुगर इंस्टिट्यूट (पुणे), चीनी आयुक्तालय, महाराष्ट्र राज्य सहकारी साखर कारखाना संघ, वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन (WISMA) आदि के सहयोग राज्यस्तरीय चीनी सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इस सम्मेलन के दुसरे दिन रेणुका शुगर्स के अध्यक्ष रवी गुप्ता ने ‘चीनी उद्योग के मार्जिन में सुधार’ इस विषय पर अपनी बात रखी।
गुप्ता ने कहा, देश में इस साल कुल चीनी उत्पादन 395 लाख टन होगा, उसमें से लगभग 34 लाख टन चीनी का एथेनॉल का इस्तेमाल होगा और करीब 260 लाख टन चीनी का इस्तेमाल घरेलू बाजार में होगा। बावजूद इसके देश में अब भी चीनी का अधिशेष है और आने वाले समय में भी देश में चीनी सरप्लस रहने की संभावना है। उन्होंने कहा, विदेशों में पिछले तीन साल में चीनी का उत्पादन कम हुआ था, और उन देशों ने स्टॉक में पडी चीनी का इस्मेताल किया।
उन्होने कहा, वर्तमान में वैश्विक चीनी उद्योग के लिए सबसे अच्छा माहौल है, इसका मुख्य कारण क्रूड ऑयल की कीमतों हुई बढ़ोतरी है। क्रूड ऑयल में बढोतरी के चलते ब्राजील जैसे देशों में भी एथेनॉल इस्तेमाल बढ़ गया है, लेकिन अगर क्रूड ऑयल की कीमतों में 70-80 डॉलर तक गिरावट आती है तो फिर एक बार चीनी उद्योग संकट में फंस जाएगा, फिलहाल ऐसी स्थिति नहीं दिखाई दे रही है।
साथ ही उन्होंने चीनी MSP पर भी बात की और कहा बढ़ते उत्पादन लागत को ध्यान रखते हुए चीनी की MSP पर विचार करने की जरूरत है।