लखनऊ: उत्तर प्रदेश में गत दो सालों से गन्ने का मूल्य नहीं बढ़ाए जाने और चीनी मिलों द्वारा पिछले कई सालों से गन्ना किसानों को उनके गन्ने का भुगतान नहीं किए जाने के कारण राज्य में किसानों के बढ़ते गुस्से और लगातार आंदोलन करने का नतीजा अब दिखने लगा है। चीनी मिलों ने किसानों के पिछले तीन साल के बकाये का भुगतान लगभग क्लियर कर दिया है, जबकि मौजूदा सीजन का भुगतान अब भी पूरा चुकाया नहीं गया है।
गन्ना किसान आरोप लगाते आ रहे है की सरकार द्वारा गन्ने का मूल्य नहीं बढ़ाए जाने और चीनी मिलों द्वारा कई सालों का बकाया भुगतान नहीं किये जाने के कारण उनकी हालत लगातार पतली होती गई, जिसके बाद किसानों ने पिछले साल से राज्यभर में आंदोलन छेड़ रखा था। किसानों की लगातार बढ़ती नाराजगी ने सरकार को कुछ कड़े कदम उठाने पर मजबूर कर दिया। यही कारण रहा कि प्रशासन को बकाया भुगतान को लेकर मिलों पर सख्ती का रुख अपनाना पड़ा, जिसका नतीजा ये निकला कि चंद महीनों में ही मिलों ने तीन सालों का लगभग सारा बकाया भुगतान कर दिया है। गन्ना विभाग के आंकड़ों के अनुसार, निगम और सहकारी चीनी मिलों ने 2016-17, 2017-18 और 2018-19 के लिए गन्ना खरीद बकाया का 100% भुगतान कर दिया है, वहीं, निजी मिलों ने 2016-17 के 99.91% बकाये, 2017-18 के 99.97% बकाये और 2018-19 के 98.1% बकाये का भुगतान किया है।
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