मुंबई / पुणे : चीनी मंडी
राज्य के सूखा प्रभावित मराठवाड़ा और औरंगाबाद क्षेत्रों में चीनी मिलर्स, जिन्होंने संभावित गन्ने की कमी के कारण पेराई शुरू नहीं करने का फैसला किया था, अब वह मिलें चीनी के अधिशेष स्टॉक को एथेनॉल में बदल सकती है। वेस्ट इंडियन शुगर मिल्स एसोसिएशन के अध्यक्ष बी.बी.ठोम्बरे ने कहा कि, मराठवाड़ा में 47 मिलों में से कम से कम 30-32 मिलें एथेनॉल का उत्पादन करने के लिए अपनी डिस्टिलरी इकाइयों का संचालन करेगी।
मराठवाड़ा में मिलों ने गन्ने की कमी के कारण अपने परिचालन को बंद रखने का फैसला किया था। यह अनुमान लगाया गया था कि, इस क्षेत्र की 47 मिलों में से केवल 10 ही मिलें इस सीजन में परिचालन शुरू करेंगी। हालांकि, केंद्र सरकार द्वारा चीनी को एथेनॉल में बदलने की अनुमति से उद्योग का विश्वास बढ़ा है। अब ज्यादातर मिलर्स कहते हैं कि, वे चीनी को इथेनॉल में बदलने का विकल्प चुनेंगे।
ठोम्बरे ने कहा, अधिशेष चीनी स्टॉक को बेकार रहने देने के बजाय मिलें इसे एथेनॉल में परिवर्तित कर रही हैं और तेल कंपनियों को बेच रही हैं। ठोम्बरे की उस्मानाबाद इकाई, जो बंद रहने वाली थी, एथेनॉल योजना का लाभ लेने के लिए नवंबर में अपनी डिस्टलरी इकाई शुरू करेगी। ठोम्बरे ने कहा, चीनी से एथेनॉल उत्पादन करने के लिए चीनी आयुक्त से अनुमति या पेराई लाइसेंस की आवश्यकता नहीं होगी।
ठोम्बरे ने कहा कि, चीनी को एथेनॉल उत्पादन में बदलने की प्रक्रिया से मिलों को तरलता उत्पन्न करने और चीनी अधिशेष को कम करने में मदद मिलेगी।
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