कोल्हापुर: किसान संगठनों ने आरोप किया है कि, जिले की चीनी मिलें इस साल जून में आई बाढ़ से प्रभावित गन्ने की पेराई करने से इनकार कर रही हैं। जिले में 50,000 हेक्टेयर से अधिक गन्ने के खेतों में जून में दो सप्ताह से अधिक समय तक पानी भर गया था। जिला कलेक्टर राहुल रेखावार के हस्तक्षेप के बाद यह निर्णय लिया गया था कि, मिलें 40% बाढ़ प्रभावित गन्ने की और शेष अच्छे गन्ने की दैनिक आधार पर पेराई करेंगी। मिलों को यह भी सुनिश्चित करना होगा कि उनके मिल क्षेत्र में बाढ़ से प्रभावित सभी गन्ने की पेराई की जाए।
टाइम्स ऑफ़ इंडिया में प्रकाशित खबर के मुताबिक, जय शिवराय किसान संगठन के अध्यक्ष शिवाजी माने ने कहा, हातकनंगले तहसील की कोई भी मिल बाढ़ प्रभावित गन्ने की पेराई करने को तैयार नहीं है। हमने जिला कलेक्टर द्वारा दिए गए निर्देशों का पालन करने के लिए स्थानीय अधिकारियों को एक याचिका प्रस्तुत की है। 2019 में भी यही स्थिति आई थी, लेकिन तब मिलों ने बाढ़ प्रभावित गन्ने की पेराई प्राथमिकता के आधार पर कर सहयोग दिया था।
माने ने कहा कि, उनके संगठन ने मिलों को निर्देशों का पालन करने के लिए एक सप्ताह की समय सीमा दी है। अगर मिलें नहीं मानी तो वे कटाई बंद कर देंगे और मिलों का गन्ना परिवहन बंद कर देंगे। चीनी मिलर्स ने दावा किया है कि, बाढ़ प्रभावित गन्ने की पेराई से चीनी की रिकवरी प्रभावित होगी और यदि सीजन की शुरुआत में रिकवरी कम होती है तो सहकारी बैंकों द्वारा दिया गया कोलैटरल लोन कम होगा और इससे किसानों को भुगतान प्रभावित होगा। इसके अलावा, गन्ना श्रमिकों ने नदी के किनारे के खेतों से गन्ने की कटाई के दौरान उत्पन्न कठिनाइयों का हवाला दिया है।
जिला कलेक्टर राहुल रेखावर ने कहा कि, मिलें बाढ़ग्रस्त किसानों को सहयोग कर रही हैं, और हमें जनवरी तक पेराई का ग्रामवार कार्यक्रम सौप दिया है। बाढ़ के कारण पहले से ही आर्थिक संकट से जूझ रहे किसानों ने मांग की है कि गन्ने को जल्द से जल्द काटा जाए और इसे लंबे समय तक रखने से उनकी आय प्रभावित होगी।