कोल्हापूर : चीनी मंडी
2018 – 2019 चीनी सीजन में किसान संगठनों की गन्ने के दर की मांग और बैंकों से मिलों को मिलनेवाला एडवांस इसमें बड़ा अंतर है और इसके चलते मिलें सरकार की मदद के बिना किसानों संगठनों की कोई भी मांग पूरी नही कर सकती है। इसके मद्देनजर जब तक सरकार चीनी मिलों को सहायता का कोई ठोस कदम नही उठाती, तबतक चीनी मिलें बंद करने का ऐलान किया गया है। कोल्हापुर में चीनी मिलों के प्रतिनिधियों की एक बैठक में मंगलवार को हुई, इसमें चीनी मिलें सरकार की मदद मिलने तक बंद करने का फैसला लिया गया।
इस मौसम के लिए स्वाभिमानी किसान संगठन और रयत क्रांति संगठन ने प्रति टन एफआरपी अधिक 200 रुपये और शिवसेना ने 3,500 रुपये की मांग की है। इस मांग पर चर्चा करने के लिए चीनी मिल प्रतिनिधियों की एक बैठक हुई । जिला सहकारी बैंक के अध्यक्ष विधायक हसन मुश्रीफ की अध्यक्षता में बैठक हुई और इस बैठक में किसान संघठन, सरकार से चीनी मिलोंद्वारा गन्ने के दर को लेकर आगे की चर्चा मुश्रीफ़ को करने के अधिकार दिए गए ।
वास्तविक आय और मांग में बड़ा अंतर…
बैठक में चीनी के दाम और किसान संगठन की मांग पर चर्चा हुईं। चीनी का न्यूनतम बिक्री मूल्य 2900 रूपये प्रति क्विंटल है, उसपर बैंकों को द्वारा 85% एडवांस मिलता है।इस एडवांस से मिलों की ऋण किश्ते, गन्ना कटाई और परिवहन खर्चा अगर अलग किया जाए तो मिलों के पास इतने पैसे नही बचते जिससे वो किसान संघठनों की मांग पूरी कर सकें । ऐसे मामलें में, सरकारी मदद के बिना मांग को पूरा करने मिलों के लिए असंभव है । नतीजतन, जो चीनी मिलें अभी शुरू है और जो शुरू होने जा रही है वो सभी बंद करने का बड़ा फैसला बैठक में लिया गया है।
सांगली, सातारा जिले के मिलों को भी साथ लिया जायेगा….
कोल्हापूर के चीनी मिलों के प्रतिनिधियों की बैठक में मिलों के इस बंद में सांगली और सातारा जिले के चीनी मिलों को भी बंद में साथ लेने का निर्णय लिया गया । यह जिम्मेदारी मुश्रीफ को दी गई थी। मुश्रीफ ने इन दोनों जिलों में कुछ प्रमुख मिलों के साथ इस मुद्दे पर चर्चा की। उन्हें यह भी बताया कि, उन्होंने (सांगली, सातारा जिले के मिले) भी निर्णय का समर्थन किया है। नतीजतन, कोल्हापुर के साथ सांगली, सातारा जिले में मिले कल से बंद रहेंगी ।
तीन जिलों के चीनी मिल प्रतिनिधियों के बैठक की संभावना
कोल्हापुर, सांगली और सातारा जिले में किसान संगठनों का प्रभाव है। इसलिए, इन तीन जिलों में, किसान संगठन के आंदोलन से चीनी मिलों का मौसम प्रभावित होता है। इसके चलते कोल्हापूर चीनी मिलों के ऐलान में सांगली और सातारा जिले के चीनी मिलों ने भाग लेने का फैसला किया। अगले हफ्ते इन तीन जिलों के चीनी मिल प्रतिनिधियों की संयुक्त बैठक की संभावना है ।
चर्चा में, ‘दत्त-डालमिया’ के के.पी. सिंग, ‘गुरुदत्त-टाकली’ के माधवराव घाटगे, ‘सरसेनापती घोरपड़े’ मुश्रीफ ने हिस्सा लिया। ‘दत्त-शिरोल’ के अध्यक्ष गणपतराव पाटिल, ‘मंडलिक-हामिदावाड़ा’ के अध्यक्ष प्रा. संजय मंडलिक, ‘राजाराम’ के अध्यक्ष हरीश चौगुले, पी. जी. मेढ़े, ‘भोगवती’ के उपाध्यक्ष उदयसिंग पाटिल-कौलवकर, ‘शाहू-कागल’ के कार्यकारी निदेशक जितेंद्र चव्हाण, अथनी शुगर्स के श्रीमंत पाटिल, ‘बिद्री’ के कार्यकारी निदेशक आर. डी. देसाई, ‘वारणा’ के विजयकुमार कोले, ‘जवाहर’ के कार्यकारी निदेशक मनोहर जोशी, डी. वाय. पाटिल, रेणुका, गडहिंग्लज, आजरा, इको-केन के प्रतिनिधि भी उपस्थित थे।